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नय-रहस्य माल बेचते समय या डॉक्टर इलाज करते समय, ग्राहक या मरीज की जाति, आर्थिक स्थिति आदि से प्रभावित हुए बिना उन्हें माल बेचते हैं या चिकित्सा करते हैं। ईमानदार कर्मचारी और अधिकारी भी जनता की गरीबी-अमीरी या जाति आदि को देखे बिना योग्यता/पात्रता के आधार पर उनसे व्यवहार करते हैं तो यह उनका निष्पक्ष वर्तन कहलाता है। ____6. इसी प्रकार वस्तु को उसके स्वभाव से ही देखने पर अर्थात् उसमें पर्यायगत संयोग आदि हैं या नहीं, कर्मोपाधि है या नहीं, राग है या नहीं - इत्यादि विधि-निषेध के विकल्प नहीं करने पर ही वस्तु की निर्विकल्प अनुभूति सम्भव है। एक काल्पनिक घटना के आधार पर विधि-निषेध के विकल्पों से उत्पन्न आपत्ति को समझा जा सकता है -
एक बार एक सज्जन अपने मित्र के साथ किसी पार्टी में गए। संयोगवशात् उनका सूट लॉन्ड्री से धुलकर नहीं आ पाया तो उन्हें उनके मित्र ने अति आग्रह करके अपना सूट पहना दिया। पार्टी में वह मित्र, अपने किसी अन्य मित्र से उन सज्जन का परिचय कराते हुए अन्य बातों के साथ-साथ यह भी बोल पड़े कि बस! इन्होंने जो सूट पहन रखा है, वह मेरा है। यह सुनकर उन सज्जन को बहुत बुरा लगा। उन्होंने अपने मित्र को टोकते हुए कहा कि यह कहने की क्या जरूरत थी? मित्र ने क्षमा माँगते हुए वादा किया कि अबकी बार ऐसी गलती नहीं होगी।
दूसरी बार पुनः किसी से परिचय देते हुए उन्होंने कहा कि इन्होंने जो सूट पहना है, यह इन्हीं का है। इस बार उन सज्जन को और अधिक बुरा लगा और वे नाराज होकर बोले - क्यों मेरी इज्जत उतारने पर तुले हो, क्या यह कहना भी जरूरी था? इस बार पुनः उस मित्र ने क्षमा माँगी और कहा कि अब ऐसी गलती नहीं होगी।