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________________ नय-रहस्य - इसप्रकार स्वरूप के अवलम्बन से सहजता. (अकर्ता स्वभाव) की अनुभूति होने का सहज पुरुषार्थ करा ही श्रेयस्कर है। . अभ्यास-प्रश्न 1. नयाभास किसे कहते हैं? वह क्रिया में होता है या अभिप्राय में? 2. तीनों प्रकार के जैनाभासों की परिभाषा और उनमें पाई जानेवाली मिथ्या ___ मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। 3. मोक्षमार्ग प्रकाशक के आधार पर तीनों जैनाभासों में पाई जानेवाली " मान्यताओं का खण्डन कीजिए। 4. सम्यक्त्व-सन्मुखता में जैनाभास है या नहीं? स्पष्ट कीजिए। 5. सम्यग्दर्शन पुरुषार्थ से होता है या सहज ? दोनों अपेक्षाएँ स्पष्ट कीजिए। 6. अन्य-मतानुयायियों को सम्यग्दर्शन कैसे हो सकता है? कोई नर निश्चय से आत्मा को शुद्ध मान, __ भये हैं स्वच्छन्द न पिछाने निज शुद्धता। कोई व्यवहार दान शील तप भाव ही कौ, आतम कौ हित जानि छोड़े नहीं मूढ़ता। कोई व्यवहारनय निश्चय के मारग कौ, भिन्न-भिन्न जानि, पहचानि करै उद्धता। जब जाने, निश्चय के भेद व्यवहार सब, कारण को उपचार माने तब बुद्धता।। - पण्डित टोडरमलजी कृत पुरुषार्थसिद्धयुपाय की टीका का मंगलाचरण ---.
SR No.007162
Book TitleNay Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2013
Total Pages430
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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