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जैनाभास
___ मोक्षमार्ग प्रकाशक के सातवें अधिकार में जैनाभासी मिथ्यादृष्टियों का वर्णन करते हुए निश्चयाभास, व्यवहाराभास, उभयाभास और सम्यक्त्व के सन्मुख मिथ्यादृष्टि की चर्चा की गई है। यहाँ इनमें से आभासों का उल्लेख करना, प्रासंगिक होने से नयाभास प्रकरण लिखा जा रहा है, क्योंकि ये आभास निश्चय-व्यवहारनय सम्बन्धी एकान्त पक्ष को ग्रहण करने के होते हैं। सम्यक्त्व-सन्मुख मिथ्यादृष्टि को कोई आभास नहीं है, वह तो देशनालब्धि पाकर तत्त्व-निर्णय की प्रक्रिया में है।
वस्तु के एक धर्म को मुख्य एवं अन्य धर्मों को गौण करके जानना, नय है। लेकिन यदि अन्य धर्मों को गौण करने के बदले उनका निषेध किया जाए तो मिथ्यानय अथवा नयाभास हो जाता है, जिसे मिथ्या-एकान्त भी कहते हैं। . ___ शक्कर के सफेदी-आकार आदि धर्मों का निषेध करके उसे सर्वथा मीठी ही मानना/कहना, नयाभास है। शक्कर मीठी ही है - ऐसा कहने का तो यही अर्थ हुआ कि उसमें मिठास के अलावा सफेदी, चमक, आकार आदि तथा अस्तित्व, वस्तुत्व आदि कोई धर्म हैं ही नहीं। इसीप्रकार आत्मा को सर्वथा नित्य कहने का यही अर्थ होगा कि उसमें अनित्यादि विरोधी धर्म, ज्ञान-दर्शन आदि विशेष गुण तथा अस्तित्व, वस्तुत्व आदि सामान्य गुण हैं ही नहीं; अतः अन्य धर्मों का निषेध