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जिनागम के अनमोल रत्न]
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(उत्तम, मध्यम, अधम और अधमाधम जीवों का स्वभाव) उत्तम पुरुषकी दसा ज्यौं किसमिस दाख,
बाहिज अभिंतर विरागी मृद अंग है। मध्यम पुरुष नारिअरकीसी भांति लि.,
बाहिज कठिन होय कोमल तरंग है।। अधम पुरुष बदरीफल समान जाकैं,
बाहिरसैं दीखै नरमाई दिल संग है। अधमसैं अधम पुरुष पूंगीफल सम,
अंतरंग बाहिज कठोर सरवंग है।।18।।
(उत्तम पुरुष का स्वभाव) कीचसौ कनक जाकै नीचसौ नरेस पद,
मीचसी मिताई गरुवाई जाकै गारसी। जहरसी जोग-जाति कहरसी करामाति,
हहरसी हौस पुदगल-छबि छारसी। जालसौ जग-विलास भालसौ भुवन-वास,
कालसौ कुटुंब-काज लोक-लाज लारसी। सीठसौ सुजसु जानै बीठसौ वखत माने,
ऐसी जाकी रीति ताहि वंदत बनारसी।19॥
(अधमाधम पुरूषका स्वभाव) कुंजरकौं देखि जैसैं रोस करि भूसै स्वान ,
रोस करै निर्धन विलोकि धनवंतकौं।'