SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल दिगम्बर जैन समाज के मूर्धन्य विद्वानों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। अगहन कृष्णा अष्टमी वी. सं. 1989 तदनुसार, 21 नवम्बर 1932 के ललितपुर (उत्तरप्रदेश) जिले के बरौदा स्वामी ग्राम के एक धार्मिक परिवार में जन्में पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल स्वर्गीय श्री हरदासजी भारिन के ज्येष्ठ पुत्र हैं। आप शास्त्री, न्यायतीर्थ, साहित्यरत्न तथा एम.ए., बी.एड. शिक्षा प्राप्त है। सिद्धहस्त तथा लोकप्रिय लेखक होने के साथ आप एक सफल पत्रकार भी हैं। जैनपथदर्शक (पाक्षिक) के आप आद्य सम्पादक हैं, जिसका 1977 से नियमित प्रकाशन हो रहा है। आध्यात्मिक तथा तात्त्विक विषयों को सरल एवं सुबोध शैली में प्रस्तुत करने की आपकी अद्भुत क्षमता है। आपकी लगभग 17 मौलिक कृतियाँ हैं, जो लाखों की संख्या में जन-जन तक पहुँच कर बिक्री के सारे रिकार्ड तोड़ चुकी है। जैन ही नहीं जैनेतर भी आपके साहित्य से लाभान्वित होते रहे हैं। निबन्ध शैली में लिखी गई आपकी कृतियाँ। शोध शैली में होते हुए भी सरल, सुबोध,सर्वग्राह्य, व्यावहारिक एवं जनोपयोगी है। सभी पुस्तकों में नैतिक शिक्षा, आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ पारिवारिक व सामाजिक समस्याओं के समाधान भी सहज मिल जाते हैं। उपन्यासों के माध्यम से तत्वज्ञान कराने की आपकी शैली मिश्री के माध्यम से दवा पिलाने जैसी हैं। आपके सभी उपन्यास लोकप्रिय है। सम्प्रति में आप टोडरमल दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय के प्राचार्य हैं। आप सफल शिक्षाविद् और प्रौढ प्रवचनकार भी हैं।
SR No.007150
Book TitleSamadhi Sadhna Aur Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
Publication Year2004
Total Pages26
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy