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________________ 11 समाधि-साधना और सिद्धि शास्त्रीय शब्दों में कहें तो – “आचार्य जिनसेन कृत महापुराण के इक्कीसवें अध्याय में कहा है – 'सम' शब्द का अर्थ है एकरूप करना, मन को एकरूप या एकाग्र करना। इसप्रकार शुभोपयोग में मन को एकाग्र करना समाधि शब्द का अर्थ है।" इसीप्रकार भगवती आराधना में भी समाधि के सम्बन्ध में लिखा है – “सम शब्द का अर्थ है एकरूप करना, मन को एकाग्र करना, शुभोपयोग में मन को एकाग्र करना। ___आचार्य कुन्दकुन्द कृत नियमसार गाथा १२२ में समाधि की चर्चा करते हुए कहा है कि – “वचनोच्चारण की क्रिया का परित्याग कर वीतरागभाव से जो आत्मा को ध्याता है, उसे समाधि कहते हैं।" __आचार्य योगीन्दुदेव कृत परमात्मप्रकाश की १९०वीं गाथा में परम समाधि की व्याख्या करते हुए ऐसा कहा है कि – “समस्त विकल्पों के नाश होने को परम समाधि कहते हैं।'' इसे ही ध्यान के प्रकरण में ऐसा कहा है कि – “ध्येय और ध्याता का एकीकरणरूप समरसीभाव ही समाधि है।" . स्याद्वाद मंजरी की टीका में योग और समाधि में अन्तर स्पष्ट करते हुए कहा है – “बाह्यजल्प और अन्तर्जल्प के त्यागरूप तो योग है तथा स्वरूप में चित्त का निरोध करना समाधि है।" इसप्रकार जहाँ भी आगम में समाधि के स्वरूप की चर्चा आई है, उसे जीवन साधना आत्मा की आराधना और ध्यान आदि निर्विल्प भावों से ही जोड़ा है। अतः समाधि के लिए मरण की प्रतीक्षा करने के बजाय जीवन को निष्कषाय भाव से, समतापूर्वक, अतीन्द्रिय आत्मानुभूति के साथ जीना जरूरी है। जो सर्वज्ञ स्वभावी आत्मा के आश्रय से ही संभव है।
SR No.007150
Book TitleSamadhi Sadhna Aur Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherAkhil Bharatvarshiya Digambar Jain Vidwat Parishad Trust
Publication Year2004
Total Pages26
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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