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चौसठ-ऋद्धि-पूजन विधानका मंडल
बलऋद्धि
औषधऋद्धि
तपोतिशय ऋद्धि
8888
रसऋद्धि
ॐॐॐ
ॐॐॐ3
विक्रियाऋद्धि
।
ॐ
अक्षीणमहानस ऋद्धि
चारण ऋद्धि
ॐ9833
3.
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..बुद्धि ऋद्धि
इसके चारों ओर २४ तीर्थंकरोंके संघके मुनिओके अर्घ लिये हैं। इसके . बाद चारों ओर आठ कोठे हैं। इनमें प्रथम बुद्धि ऋद्धिके १८, द्वितीय चारण ऋद्धिके ९, तृतीय विक्रियाऋद्धिके ११, चतुर्थ तपोतिशय ऋद्धिके ७, पंचम बलऋद्धिके ३, षष्ठ औषधऋद्धिके ८, सप्तम रसऋद्धिके ९ और अष्टम अक्षीणमहानस ऋद्धिके २ कोठे बनाना चाहिये, और उनमें भिन्न-भिन्न उक्त ऋद्धि धारकोके अर्घ चढ़ाना चाहिए।