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________________ _प्रकाशकीय निवेदन ___ परमोपकारी स्वानुभूति विभूषित, अध्यात्मयुगस्रष्टा पूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामीकी कल्याणवर्षिणी अनुभवरसभीनी वाणीसे मुमुक्षु समाजको तीर्थंकर भगवन्तों द्वारा प्रकाशित मोक्षमार्गके मूलरूप भवांतकारी सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्रका यथार्थ बोध प्राप्त हुआ है। उनके द्वारा ही इस युगमें निज ज्ञायक स्वभावके आश्रयसे ही स्वानुभूतियुक्त सम्यग्दर्शन-निश्चय सम्यग्दर्शनकी प्राप्तिका मार्ग उजागर हुआ है। ___ तदुपरांत पूज्य गुरुदेवश्री द्वारा ही इस सम्यग्दर्शनकी प्राप्तिके उत्कृष्ट निमित्त सच्चे देव-गुरु-शास्त्रका भी यथार्थ ज्ञान मुमुक्षु समाजको प्राप्त होनेसे उनके प्रति आदर-भक्ति-बहुमानके भाव जागृत हुए हैं। साथ साथ प्रशममूर्ति भगवती माता पूज्य बहिनश्रीने भी पूज्य गुरुदेवश्रीकी भवनाशिनी वाणीका हार्द मुमुक्षु समाजको बताकर मुमुक्षुओंके अंतरमें जागृत सच्चे देव-शास्त्र-गुरुके प्रतिके भक्तिभावको भक्ति-पूजाकी अनेकविध रोचक गतिविधियोंके द्वारा नवपल्लवित किया है। ____जिसके फलस्वरूप सुवर्णपुरीमें देव-शास्त्र-गुरुकी भक्ति पूजनके विविध कार्यक्रमका आयोजन सदैव चलता रहता है। इस हेतुको ध्यानमें रखकर ट्रस्टकी ओरसे पूजनविधानके विविध पुस्तकोंका प्रकाशन हो रहा है। ___ महामुनिवरोंको तपके बलसे प्राप्त ६४ ऋद्धियोंकी भक्ति हेतु रचा गया 'श्री स्वरूपचंदजी रचित 'श्री चौसठ ऋद्धि मंडल विधान पूजा' पूर्व “विधान पूजा संग्रह में छपवाई गयी थी, यह पुस्तक उसका अलग संस्करण है। आशा है कि इस प्रकाशनसे मुमुक्षु समाज अवश्य लाभान्वित होगा। पूज्य बहिनश्रीकी ९३वीं . जन्मजयंती महोत्सव भादों वदी-२ वि. सं. २०६२ साहित्यप्रकाशन-समिति ___ श्री दि. जैन स्वाध्यायमन्दिर ट्रस्ट सोनगढ ३६४२५०
SR No.007149
Book TitleChousath Ruddhi Poojan Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year2006
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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