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________________ . [२६] जयमाला (अडिल्ल छन्द) चारण ऋधिके धार मुनीश भए तिन्हैं । मन वच तन करि शुद्ध नमन करिहों जिन्हें ॥ . जीवभेद षट् काय अभय सबको दियो । तिनके तनतै विना यतन ही सिध भयो ॥१॥ (चाल-पनिहारी) पृथ्वी अरु अप तेजकी सब जाणी हो, वायुकायकी जाति, मुनिवरजी । नित्य रु इतर निगोद की सब जाणी हो, सात २ लाख जाति, मुनि० ।२। वनस्पतिकी लाख दस सब जाणी हो, विकलत्रयकी दो २ लाख मुनि० । पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चकी सब जाणी हो, देव नारकी चव २ लाख मुनि०।३। चौदह लाख मनुष्य की जब जाणी हो, ये योनि चौरासी लाख, मुनि० । इकसौ साढा निन्याणवै सब जाणी हो, लाखकोडिकुल भाख, मुनि०।४। इन्द्रिय पंच जु च्यार गति सब जाणी हो, षट् काय पंद्रहयोग, मुनि० । वेद तीन द्रव्य भावतें सब जाण्या हो, कषाय पचीस को थोक, मुनि० ।५। ज्ञान आठमें भेद दो वह जाण्या हो, सम्यक् अरु कुज्ञान, मुनिवरजी । संयम सात रु दर्श चउ सब जाण्या हो , लेश्या षट् पहिचान, मुनि०।६। भव्य दोय सम्यक्त्व छह जाणी हो, संज्ञी उभय बखानि, मुनिवर० । अहारक युग सब जीवके सो जाण्या हो, मार्गण चौदह जाणि, मुनि० ७। गुणस्थान चउदश सकल सब जाण्या हो, चौदह जीवसमास, मुनि० पर्याप्त षट् भेद युत सब जाण्या हो, प्राण जु दश है तास, मुनि०।८। संज्ञा चार जु जीवकै सब जाणी हो, है बारह उपयोग मुनि० । बीस प्ररुपणानैं सकल श्री ऋषिवरजी, जाण्यो जीव प्रयोग, मुनि०।९। इनतें जहँ जहँ जीव हैं श्री मुनिवरजी, त्रस थावर दो भांति जाण्या हो० । सूक्ष्म बादर भेद युत सब जाणी हो, संसार की जाति, मुनि० ।१०।
SR No.007149
Book TitleChousath Ruddhi Poojan Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year2006
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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