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________________ कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना 49 बन्ध और मोक्ष अन्य भारतीय दर्शनों की तरह उपनिषद् में बन्धन एवं मोक्ष का विचार निहित है। मोक्ष को जीवन का चरम लक्ष्य माना गया है । अविद्या बन्धन का कारण है। अविद्या के कारण बन्धन उत्पन्न होता है । यह अहंकार ही जीवों को बन्धन - ग्रस्त कर देता है । इसके प्रभाव में जीव इन्द्रियाँ, मन, बुद्धि अथवा शरीर से तादात्म्य करने लगता है । बन्धन की अवस्था में जीवों को ब्रह्म, आत्मा, जगत् के वास्तविक स्वरूप का अज्ञान रहता है। इस अज्ञान के फलस्वरूप वह अवास्तविक एवं क्षणिक पदार्थ को वास्तविक तथा यथार्थ समझने लगता है । बन्धन को उपनिषद में 'ग्रन्थि' भी कहा गया है । ग्रन्थि का अर्थ है- बँध जाना विद्या से ही मोक्ष सम्भव है; क्योंकि अन्धकार का छुटकारा विद्या से ही सम्भव है। विद्या के विकास के लिए उपनिषद् में नैतिक अनुशासन पर बल दिया गया है। इन अनुशासनों में सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह प्रमुख है । मोक्ष की अवस्था में जीव अपने यथार्थ स्वरूप को पहचान लेता है तथा ब्रह्म के साथ तादात्म्यता हो जाती है । जीव का ब्रह्म से एकत्र हो जाना मोक्ष है । जिस प्रकार नदी समुद्र में मिलकर एक हो जाती है, उसी प्रकार जीव ब्रह्म में मिलकर एक हो जाता है। इस प्रकार मुक्ति ऐक्य का ज्ञान है मोक्ष की अवस्था में एक ब्रह्म की अनुभूति होती है तथा सभी भेदों का अन्त हो जाता है । उपनिषद में मोक्ष को आनन्दमय अवस्था माना गया है। मोक्ष की अवस्था में जीव का ब्रह्म से एकाकार हो जाता है। ब्रह्म आनन्दमय है, इसलिए मोक्षावस्था को भी आनन्दमय माना गया है। उपनिषद् में जीवन मुक्ति और विदेह मुक्ति दोनों अवधारणा को स्वीकारा गया है । कठ उपनिषद में कहा गया है कि जिस समय सम्पूर्ण कामनाएँ समाप्त हो जाती हैं, उस समय मर्त्य अमर हो जाता है । वह इसी शरीर में ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है। जीवन मुक्त संसार में रहता है, परन्तु संसार की अपूर्णताओं से प्रभावित नहीं हो पाता है । वह कर्म-नियम की अधीनता से मुक्त हो जाता है । जिस प्रकार जल कमल के पत्तों पर नहीं ठहर पाता है, उसी प्रकार कर्म 1
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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