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________________ कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना 187 पद या फुटकर रचनाओं में पूर्व रचनाओं की तरह भाषा का वैशिष्ट्य दिखायी देता है। इनमें भी तत्सम, तद्भव एवं विदेशी शब्द उपलब्ध होते हैं, जिनका विवरण निम्नांकित है तत्सम शब्द- त्रिकाल, प्रणमामि, अक्षत, घोश, प्रोहित, निस्पृह, सूत्र, पल्लव, प्रेक्षणीय, किमपि आदि। तद्भव-शब्द- दुल्लभ-दुर्लभ, पोहप-पुष्प, कीरा-कीट, बीजुरी-विद्युत, सीरी-शीत, चहुँगति-चर्तुगति, पास-पार्श्व, कोढ़-कुष्ट, विंतर-व्यंतर, आदि । देशज शब्द- दुखिया-दुखी, बिगार-हानि, पेंठ-छोटा और थोड़े समय का बाजार, ढिग-पास में, गोट-झुड़, अघोरी-घिनौने काम करने वाला, ओखर-उपकरण, बुरजी-गुम्बद, आछे-अच्छ, जिवाये-भोजन कराया, बाट-पथ, पौढ़ना-सोना, लेटना, बेग-शीघ्र, अरदास-प्रार्थना, थाली-पात्र विशष, सिलगै-प्रज्वलित होना इत्यादि। . विदेशी शब्द- बदबोई (बदबू फारसी विषेशण) खुमारी (अरबी, फारसी विषेशण) आखिर (अरबी, फारसी विशेषण) दिवाना (फारसी संज्ञा पुल्लिंग) अमल (अरबी संज्ञा, पुल्लिंग) अरज (अर्ज, अरबी संज्ञा स्त्रीलिंग) गाफिल (अरबी संज्ञा, पुल्लिंग) नफा (फारसी संज्ञा पुल्लिंग) खयाल (ख्याल, अरबी संज्ञा पुल्लिंग)। गुणव्यंजक पदावली-साहित्यकारों ने रसात्मक काव्य के तीन गुण माने हैं-माधुर्य, ओज और प्रसाद । माधुर्य गुण के अभिव्यंजक वर्ण ट्, ठ्, ड्, द को छोडकर अन्त्यवर्गों से संयुक्त क से म पर्यन्त 21 वर्ण हैं। ओज गुण के व्यंजक वर्ण क, च, ट, त, प, ग, ज, ड, द, ब, वर्ण अपने वर्ग के प्रथम वर्ण के अन्त्य वर्ण घ, झ, ढ, ध, भ, के संयोग से निर्मित पद हैं अर्थात् ओज गुण में वर्ग के पहले व दूसरे वर्णों तथा तीसरे व चौथे वर्गों का योग होता है। अर्थात् प्रसाद गुण के अभिव्यंजक वे वर्ण हैं, जिनका अर्थज्ञान श्रवण मात्र से हो जाता है। प्रसाद गुण में वर्गों का कोई नियम नहीं है। (1) माधुर्य गुण-शृंगार, शान्त, भक्ति एवं वात्सल्य रसात्मक स्थलों पर माधुर्य गुण का सौन्दर्य अभिव्यक्त हुआ है। यथा - जैसी उज्ज्वल आरसी रे, तैसी असम जोत । काया करमन सौ जुदी रे, सबको करै उदोत। शयन दशा जागृत दशा रे, दोनों विकलप रूप। निर विकलप शुद्धात्मा रे, चिदानन्द चिदुप।।'
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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