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________________ 94 कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना में मोक्ष की प्राप्ति के लिए जीवात्मा को इन्द्रियों पर नियन्त्रण करने का आदेश दिया गया है। (2) चार्वाक के आत्मा सम्बन्धी विचार.. चार्वाक चैतन्य को आत्मा का गुण नहीं मानता है। चैतन्य शरीर का गुण है। शरीर में ही चेतना का अस्तित्व रहता है। चार्वाक आत्मा को शरीर से अभिन्न स्वीकार करता है। आत्मा और देह के बीच अभेदं मानने के फलस्वरूप चार्वाक के आत्मा सम्बन्धी विचारों को देहात्मवाद कहा जाता है। भारतीय दार्शनिकों ने आत्मा अमर है-इस बात का खण्डन करते हुए चार्वाक आत्मा को नाशवान मानते हैं। शरीर के नाश के साथ ही आत्मा की स्थिति का भी अन्त हो जाता है। वर्तमान जीवन के अतिरिक्त कोई दूसरा जीवन नहीं है। आत्मा एक शरीर के बाद दूसरे शरीर को नहीं धारण करती है। जिस प्रकार शरीर मृत्यु के उपरान्त भूत में मिल जाता है, ठीक उसी प्रकार आत्मा भी भूत में विलीन हो जाती है। चार्वाक ने कहा भी है-शरीर के भस्म होने के उपरान्त आत्मा कहाँ से आयेगी?63 (3) गौतम बुद्ध के आत्मा सम्बन्धी विचार - बुद्ध ने शाश्वत आत्मा में विश्वास उसी प्रकार हास्यास्पद कहा है, जिस प्रकार कल्पित सुन्दर नारी के प्रति अनुराग रखना हास्यास्पद है। बुद्ध के मतानुसार आत्मा अनित्य है। यह अस्थायी शरीर और मन का संकलन मात्र है। विलियम जेम्स की तरह बुद्ध ने भी आत्मा को विज्ञान का प्रवाह माना है। बुद्ध के आत्मा-सम्बन्धी विचार उपनिषद् के आत्मा-विचार के प्रतिकूल हैं। उपनिषद् दर्शन में शाश्वत आत्मा को सत्य माना गया है, परन्तु बुद्ध ने इसके विपरीत अनित्य आत्मा की सत्यता प्रमाणित की है। इसके अतिरिक्त बुद्ध ने दृश्यजीव की सत्यता स्वीकार की है, जबकि उपनिषद में दृश्यातीत आत्मा को सत्य माना गया है। ह्यूम के आत्मा सम्बन्धी विचार में बुद्ध के आत्मा-विचार की प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है। ह्यूम ने कहा है - "जहाँ तक मेरा सम्बन्ध है, मैं तो जब अपनी इस आत्मा को देखने के लिए इसका गहरा विश्लेषण करता हूँ, तब किसी न किसी विशेष संवेदना या विज्ञान से ही टकराकर रह जाता हूँ जो संवेदना या विज्ञान, गर्मी या सर्दी, प्रकाश या छाया, प्रेम या घृणा, दुःख या सुख आदि के होते हैं। किसी भी समय मुझे किसी संवेदना से भिन्न आत्मा की प्राप्ति नहीं होती और न कभी मैं संवेदना के अतिरिक्त कुछ और देख पाता हूँ।'
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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