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है।
अव्याप्ति लक्षणाभास
अतिव्याप्ति लक्षणाभास 1. यह लक्ष्य के एकदेश में पाया जाता | यह लक्ष्य और अलक्ष्य दोनों में पाया
जाता है। 2. यह एक ही जातिवाली वस्तुओं में | यह भिन्न जातिवाली वस्तुओं में भी - ही पाया जाता है।
पाया जाता है। 3. यह कुछ समयवाला अर्थात् | यह त्रैकालिक भी हो सकता है।
अल्पकालिक भी हो सकता है। 4. यह एक ही द्रव्य की कुछ दशाओं | यह भिन्न-भिन्न द्रव्यों की दशाओं आदि ___ को लक्षण बनाने पर भी हो सकता | को लक्षण बनाने पर भी हो सकता है।
5. इससे आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा, | इससे मुख्यतया जीव-अजीव तत्त्व संबंधी
मोक्ष, पुण्य, पाप संबंधी विपरीत | विपरीत मान्यता पुष्ट होती है । मान्यता, इन्हें अपना माननेरूप अथवा इनसे ही अपनी पहिचान करनेरूप मिथ्या मान्यता पुष्ट होती है। इसे यथार्थ लक्षण मान लेने पर | इसे यथार्थ लक्षण मान लेने पर परपदार्थों अपनी पर्यायों के साथ एकत्व, ममत्व, | के साथ एकत्व आदि विपरीत बुद्धिआँ कर्तृत्व, भोक्तृत्व आदि रूप विपरीत | पुष्ट होती हैं।
बुद्धिआँ पुष्ट होती हैं। . 7. इस दोष से बचने के लिए मुख्यतया | इस दोष से बचने के लिए मुख्यतया विविध पर्यायों का यथार्थ स्वरूप | द्रव्यों का जाति अपेक्षा से पृथक्-पृथक जानना अत्यावश्यक है। स्वभाव जानना अत्यावश्यक है। इत्यादि अनेक प्रकार से इन दोनों लक्षणाभासों में अन्तर है।
प्रश्न 8: जो अमूर्तिक हो, उसे जीव कहते हैं - इस कथन की परीक्षा कीजिए।
उत्तरः प्रस्तुत वाक्य में अमूर्तिक लक्षण है और जीव लक्ष्य है। स्पर्श, रस, गंध, वर्ण आदि मय पदार्थ को मूर्तिक कहते हैं तथा स्पर्श आदि से रहित पदार्थ
तत्त्वज्ञान विवेचिका भाग एक /43