________________
मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल
व्यवस्थित ढंग से सीखने, समझने, परखने, जानने और महसूस करने की कोई कोशिश हुई हो, हर उम्र के अभ्यासी के मन में श्रद्धासिक्त विश्वास को गहरे बैठाने की कोशिश हुई हो कि व्यक्ति के भाग्य का निर्माता अन्य कोई नहीं है, मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही वह फल पाता है, एक ऐसा घाट जहाँ प्रामाणिक जीवन जीने की कला को सहज ढंग से सिखाने की कोशिश की गई हो, एक ऐसा घाट जहाँ सत्य की बहुआयामिता को स्वीकार्यता मिली हो, तो उस माँझी की नाव, उस मल्लाह की नाव एक ही घाट पर आकर टिकेगी, जिस घाट का नाम है डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल ।
- प्रो. डॉ. नलिन शास्त्री
28
अनुकरणीय और प्रशंसनीय
डॉ. साहब से मैं आज से नहीं लगभग 20 वर्ष पहले से परिचित हूँ । अनेक बार आपके देश-विदेश में व्याख्यान सुने हैं; शिकागो में दुबई में मैं उनके साथ था, मुम्बई में तो अनेक बार सुनने का अवसर मिला है, जिससे मैं बहुत-बहुत प्रभावित हुआ हूँ । सचमुच आपकी तार्किक शैली मंत्रमुग्ध करनेवाली है।
सरल-सुबोध शैली में अनेक पुस्तकें लिखकर आध्यात्मिक जैन तत्त्वज्ञान का जो प्रचार-प्रसार आपने किया है, वह अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय है। समाज आपके प्रदेय को कभी नहीं भूल सकता है।
आपके निर्देशन में पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट ने धर्मप्रचार का कार्य किया है, मैं उससे भी परिचित हूँ, वह भी अद्भुत है।
दीपचन्द गार्डी, मुम्बई
-
हमारे हृदय में
जैसे गुरुदेवश्री कानजी स्वामी, डॉ. भारिल्ल के हृदय में समाये हैं;
वैसे ही डॉ. भारिल्ल हमारे हृदय में समाये हुये हैं ।
-
-सुमनभाई दोशी, राजकोट