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ज्ञानचक्षु : भगवान आत्मा
है। आत्मा अन्तर में गहरा है, वह राग के विकल्पों में आवे - ऐसा नहीं है।
इस प्रकार आत्मा के पाँच भाव सम्बन्धी और उसमें द्रव्य -पर्याय सम्बन्धी बहुतं विवेचन हुआ, अब उसका निष्कर्ष, अर्थात् सार निकालते हैं। उसमें कौन-सा भाव मोक्ष का कारण निश्चित हुआ? – यह बतलाते हैं।
शुद्ध पारिणामिकभाव की भावनारूप जो औपशमिक आदि तीन भाव हैं, वे समस्त रागादिरहित शुद्धउपादानकारणरूप होने से मोक्ष का कारण है – ऐसा सिद्ध हुआ।
देखो, यह मोक्ष का कारण बतलाते हैं। मोक्ष के कारणरूप आत्मा के भाव को इस गाथा में अनेक प्रकार से बतलाया है। . * अकारक-अवेदक – ऐसा जो ज्ञानमात्र भाव, वह मोक्ष का कारण;
* अभेद से 'शुद्धज्ञान परिणत जीव' उसमें मोक्षमार्ग आ गया;
* शुद्ध उपादानरूप से कर्म का अकर्ता - ऐसा भाव, वह मोक्षमार्ग;
* सर्वविशुद्ध पारिणामिक परमभाव का ग्रहण, वह मोक्षमार्ग;
* तात्पर्यवर्ती का लक्षण शुद्धात्म अनुभूति – यह अनुभूति, वह मोक्षमार्ग; : ___ * औपशमिक-क्षायोपशमिक-क्षायिक ये तीनों भाव मोक्ष का कारण; ___ * भव्यत्वशक्ति की व्यक्ति अर्थात् सम्यक्त्वादि की प्राप्ति, वह मोक्षमार्ग;