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ज्ञानचक्ष : भगवान आत्मा
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परमज्योति है, (27) वही शुद्ध आत्मा की अनुभूति है, (28) वही आत्मा की प्रतीति है, (29) वही आत्मा की संवित्ति है, (30) वही स्वरूप की उपलब्धि है, (31) वही नित्यपदार्थ की प्राप्ति है, (32) वही परमसमाधि है, (33) वही परमानन्द है, (34) वही नित्यानन्द है, (35) वही सहजानन्द है, (36) वही सदानन्द है, (37) वही शुद्धात्म पदार्थ के अध्ययनरूप है, (38) वही परम स्वाध्याय है, (39) वही निश्चयमोक्ष का उपाय है, (40) वही एकाग्रचिन्तानिरोध है, (41) वही परमबोध है, (42) वही शुद्धोपयोग है, (43) वही परमयोग है, (44) वही भूतार्थ है, (45) वही परमार्थ है, (46) वही निश्चय पञ्चाचार है, (47) वही समयसार है, (48) वही अध्यात्मसार है, (49) वही समता आदि निश्चयषड्आवश्यकस्वरूप है, (50) वही अभेदरत्नत्रय -स्वरूप है, (51) वही वीतराग सामायिक है, (52) वही परम शरण-उत्तम-मङ्गल है, (53) वही केवलज्ञान की उत्पत्ति का कारण है, (54) वही समस्त कर्मों के क्षय का कारण है, (55) वही निश्चय-चतुर्विध-आराधना है, (56) वही परमात्मा की भावना है, (57) वही शुद्धात्मा की भावना से उत्पन्न, सुख की अनुभूति परमकला है, (58) वही दिव्यकला है, (59) वही परम अद्वैत है, (60) वही परम अमृतरूप परम-धर्मध्यान है, (61) वही शुक्लध्यान है, (62) वही रागादि विकल्परहित ध्यान है, (63) वही निष्कल / शरीररहित ध्यान है, (64) वही परम-वीतरागपना है, (65) वही परम-साम्य है, (66) वही परम-एकत्व है, (67) वही परम-भेदज्ञान है, (68) वही परम-समरसीभाव है।
इस प्रकार समस्त रागादि विकल्प-उपाधि से रहित