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मोक्षमार्ग की भव्य भावना, इस महोत्सव में देखने को मिलती है । इन्द्रसभा में देव और देवियों की मार्मिक तत्त्वचर्चा, अनके शङ्काओं का समाधान तो करती ही है, साथ ही हमें भी स्वाध्याय करने की प्रेरणा प्रदान करती है ।
पालना-झूलन में उत्साह की पराकाष्ठा, बाल तीर्थङ्कर को झूलाने की भावना, देव-शास्त्र- गुरु के प्रति उत्कृष्ट भक्ति जगाती है।
समवसरण में जीवमात्र के लिए हितकारी अद्भुत तत्त्वज्ञान की वर्षा होती है। भगवान के मुखारविन्द से भेद - विज्ञान का स्पष्ट, अकाट्य, परम सत्य मन्त्र सुनकर, समझकर, भेद-विज्ञानी होकर तथा वीतारगी मार्ग में श्रद्धावन्त होकर, जीव मुक्तिपथ पर आरूढ़ होता है ।
पञ्च-कल्याणक महोत्सव के निमित्त से जीव समतारस, ज्ञानरस, शान्तरस का अद्भुत अमृतरस पीते-पीते, अनन्त सुखामृत सागर में तल्लीन हो जाता है ।
विश्व धरा के प्रथम जैन विश्वविद्यालय मङ्गलायतन विश्वविद्यालय की पावन धरा पर होनेवाला यह मङ्गल महा -महोत्सव हमारे तारणहार परमपूज्य गुरुदेवश्री कानजीस्वामी के पुण्य प्रभावनायोग से अत्यन्त प्रेरणादायी है। सभी साधर्मीजन इस मङ्गल महोत्सव में उत्साह से भाग लेकर ज्ञानामृत पीते हुए वीतरागभाव की वृद्धि करें - यही भावना है ।
दिनाङ्क:
5
पवन जैन
तीर्थधाम मङ्गलायतन
अलीगढ़ ।