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________________ बालक को पालने में झुलाया जाता है; उसी प्रकार बाल तीर्थङ्कर को भी पालने में झुलाया जाता है। तीन ज्ञान के धारी बाल तीर्थङ्कर को पालने में झुलाते हुए कैसी आध्यात्मिक लोरीयाँ सुनायी जाती हैं, किस प्रकार उनका मन रञ्जायमान किया जाता है? - इसी उत्साहवर्धक विधि का नाम 'पालनाझूलन' है । पञ्च - कल्याणक प्रतिष्ठा में इस कार्यक्रम में सबसे अधिक उत्साह देखा जाता है और उपस्थित जन समुदाय में प्रत्येक स्त्री-पुरुष, युवक-युवती, बालक-बालिका सभी बाल तीर्थङ्कर को पालने में झुलाना चाहते हैं । प्रश्न 26 - तीर्थङ्कर को वैराग्य कैसे आता है ? उत्तर - यह नियम है कि प्रत्येक तीर्थङ्कर के समक्ष दीक्षाकल्याणक के T पूर्व ऐसी कोई न कोई घटना घटती है, जो उन्हें वैराग्य का निमित्त बन जाती है । जैसे, तीर्थङ्कर ऋषभदेव को नीलाञ्जना का नृत्य और तीर्थङ्कर महावीर को जातिस्मरण होना, निमित्त माना गया है। वैराग्य होने के बाद उसकी अनुमोदना करने हेतु ब्रह्मस्वर्ग से अखण्ड ब्रह्मचारी लौकान्तिक देवों का आगमन होता है । पश्चात् तीर्थङ्करकुमार की दीक्षाविधि सम्पन्न होती है । प्रश्न 27- क्या दीक्षा हेतु वनगमन करते समय देवताओं और मनुष्यों में कोई विवाद होता है ? उत्तर - तीर्थङ्कर के पाँचों कल्याणक मनाने हेतु स्वर्ग से 24)
SR No.007136
Book TitlePanch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain
PublisherTirthdham Mangalayatan
Publication Year
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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