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उच्चारण, शुद्ध पठन-पाठन करने से स्वयमेव अमङ्गल दूर होते है तथा महत्कार्य निर्विघ्न और शान्तिपूर्वक सम्पन्न होते हैं।
प्रश्न 10 - मङ्गल-कलश की स्थापना क्यों की जाती है?
उत्तर - पञ्च कल्याणक ही नहीं, प्रत्येक माङ्गलिक कार्य में मङ्गल-कलश स्थापना की जाती है क्योंकि भारतीय संस्कृति में कलश को माङ्गलिक माना गया है; अत: उसमें मङ्गल द्रव्यों का क्षेपण करके, उनकी स्थापना मण्डलविधान आदि श्रेष्ठ स्थान पर की जाती है। कलश-स्थापना के माध्यम से माङ्गलिक कार्य का सङ्कल्प किया जाता है। घटयात्रा आदि के समय वेदी, मन्दिर-कलश-शिखरध्वजशुद्धि आदि के लिए मन्त्रित जल भी कलशों में ले जाते हैं। जन्माभिषेक के समय कलशों में ही क्षीरसागर के जल की स्थापना करके ले जाया जाता है क्योंकि साक्षात् तीर्थङ्कर का जन्माभिषेक क्षीरसागर के जल से ही होता है।
प्रश्न 11 - धर्म-ध्वजारोहण क्यों कराया जाता है?
उत्तर - जिस प्रकार राष्ट्रध्वज राष्ट्र के गौरव का प्रतीक होता है; उसी प्रकार धर्मध्वज भी जिनधर्म के गौरव का प्रतीक है, जिनशासन की महिमा का सूचक है। जिस प्रकार भारत देश का ध्वज तिरङ्गा है; उसी प्रकार जैनधर्म का ध्वज पचरङ्गा' माना गया है। जैनध्वज के पाँच रङ्ग ऊपर से नीचे की ओर क्रमशः सफेद, लाल, पीला, हरा और नीला है। ‘इन रङ्गों को गृहस्थों के पञ्चाणुव्रत का सूचक भी माना गया है' - ऐसा पण्डित
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