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सन्दर्भ सूची 106. कन्हैयालाल लोढ़ा, जैन धर्म में ध्यान, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, 2007, पृ. 142 107. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 21.5-8, 20, 21, 23 और 25.2, 3, 5, 6 और 7, पृ. 221,
230 और 253-254 108. आदि पुराण, प्रथम भाग 21.5, 7, 212, 213, 215 और 237, पृ.474, 497
और 499-500
अध्याय 10 1. कुन्थुसागरजी महाराज, सुधर्मोपदेशामृतसार, आचार्य कुन्थुसागर ग्रन्थमाला, सोलापुर,
1940, पृ. 108-109 2. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन,
वाराणसी 1965, पृ. 32 3. वही पृ. 33 4. कुन्थुसागरजी महाराज, सुधर्मोपदेशामृतसार, वही पृ. 108-109 5. कानजी स्वामी, वीतराग विज्ञान, भाग 2 (छहढाला के दूसरे अध्याय पर कानजी स्वामी
के प्रवचन), कहान जैन शास्त्रमाला, सोनगढ़ 1971, पृ. 54 6. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, वही पृ. 307 7. अमितगति आचार्य, तत्त्वभावना, टीकाकार-ब्रह्मचारी सीतल प्रसाद, मूलचन्द किसनदास
कापड़िया, 1938, पृ. 34-35 8. वही, पृ. 35 9. वही, पृ. 126 में उद्धृत 10. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, पृ. 35 11. वही, पृ. 29 12. वही, पृ. 281-282 13. वही, पृ. 35-36 14. वही, पृ. 108-109 15. कुन्थुसागरजी महाराज, सुधर्मोपदेशामृतसार, आचार्य कुन्थुसागर ग्रन्थमाला, सोलापुर,
1940, पृ. 103 16. कानजी स्वामी, वीतराग विज्ञान, भाग 2, छहढाला के दूसरे अध्याय पर कानजी स्वामी के
प्रवचन, कहान जैनशास्त्रमाला, सोनगढ़, 1971, पृ. 35 17. वही, पृ.93 18. हुकमचन्द भारिल्ल, तीर्थंकर महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ, चतुर्थ संस्करण,
श्री वीतराग-विज्ञान साहित्य प्रकाशन, आगरा, 1975, पृ. 136