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________________ 372 जैन धर्म : सार सन्देश 42. वही, 42.6, पृ. 431 43. वही, 42.9-11, पृ. 432 44. आदिपुराण 21.213-214, पृ.497 45. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 42.31 और 39 पृ. 436 और 438 46. पद्मसिंह मुनिराज, णाणसार (ज्ञानसार), भाषा टीकाकार-त्रिलोकचन्द जैन, मूलचन्द किसनदास कापड़िया, सूरत, 1944, श्लोक 13, पृ. 12 47. स्वामी पद्मनन्दि, सद्बोध चंद्रोदय, श्लोक 26, अमितगति आचार्य की तत्त्वभावना में उद्धृत, टीकाकार-सीतलप्रसाद जी, मूलचन्द किसनदास कापड़िया, जैन पुस्तकालय, सूरत, 1930, पृ. 216 48. पद्मसिंह मुनिराज, णाणसार (ज्ञानसार), भाषाटीकाकार-त्रिलोकचन्द, मूलचन्द ___किसनदास कापड़िया, सूरत,1944, श्लोक 3, पृ.4 49. वही, श्लोक 18, पृ. 15 50. वही, श्लोक 48, पृ. 34-35 51. वही, श्लोक 18, पृ. 15 52. वही, श्लोक 28, पृ. 21 53. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 37.1, पृ. 381 54. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भाग 2, पृ. 480 55. पद्मसिंह मुनिराज, णाणसार (ज्ञानसार), पृ. 15 56. वही, पृ.17-18 57. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 38.1, पृ. 387 58. हीरालाल जैन-सम्पादक, जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी,1965, पृ. 86-87 59. आचार्य देशभूषण महाराज-अनुवादक और सम्पादक, रत्नाकर शतक, द्वितीय भाग, श्री स्याद्वाद प्रकाशन मन्दिर, आरा, 1950, पृ. 235-237 और 240 60. दीपचंदजी शाह काशलीवाल, अनुभव प्रकाश, श्री दिगम्बर जैन स्वाध्याय मन्दिर, सोनगढ़, 1963, पृ. 13 61. पद्मसिंह मुनिराज, णाणसार (ज्ञानसार), पृ. 18 62. वही, 38. 38 और 43-44, पृ. 394-395 63. आचार्य देशभूषण महाराज, रत्नाकर शतक, द्वितीय भाग, श्री स्याद्वाद प्रकाशन मन्दिर, आरा, 1950, पृ. 237
SR No.007130
Book TitleJain Dharm Sar Sandesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKashinath Upadhyay
PublisherRadhaswami Satsang Byas
Publication Year2010
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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