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जैन धर्म : सार सन्देश
42. वही, पृ. 27 (महाचन्द जैन भजनावली, 20)
43. मूल में भूल, भैया भगवती दास जी और श्री बनारसीदास जी कृत दोहा पर श्री कानजी स्वामी के प्रवचन, सोनगढ़ : श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, 1947, पृ. 32
अध्याय 8
1. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र IX 7
2. पद्मसिंह मुनिराजकृत णाणसार ( ज्ञानसार), श्लोक 60, भाषाटीकाकार - त्रिलोकचन्दजी जैन, मूलचन्द किसनदास कापड़िया, सूरत, 1944, पृ. 44
3. हीरालाल जैन (संकलन - अनुवाद कर्ता) जिन-वाणी, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नयी दिल्ली, वाराणसी, 1975, पृ. 165 # 684-686
4. कुंथुसागरजी महाराज, सुधर्मोपदेशामृतसार, श्री आचार्य कुंथूसागर ग्रन्थमाला, सोलापुर, 1940, ч.60
5. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 2/1 / श्लोक 8, 17, 26, 45 और 46, अनुवादक - पन्नालाल बाकलीवाल, श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, बम्बई, 1927, पृ. 17, 19, 21, 24 और 25 6. आचार्य पद्मनन्दि, अनित्य - भावना, सम्पादक और अनुवादक - जुगल किशोर मुख्तार, तृतीय संस्करण, वीर-सेवा - मन्दिर, सहारनपुर, 1946, श्लोक 37, 38, 40, 42 और 43 पृ. 27, 28, 29, 30 और 31
7. वही, श्लोक 5, 13, और 50, पृ. 10-11 और 36-37
8. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 2/1/15, 23, 37-39, पृ. 18, 20 और 23
9. अमृतचन्द्राचार्य, पुरुषार्थसिद्धयुपाय, परमश्रुत प्रभावक मंडल, मुंबई, 1915, पृ. 98
10. हीरालाल जैन (संकलन - अनुवाद कर्ता), जिन - वाणी, पृ.67 # 693
11. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 2/2/8, 12, 16 और 19, पृ. 27-30
12. वही, 2/3/2, 8, 15, 16 और 17, पृ. 31-34
13. हीरालाल जैन (संकलन - अनुवाद कर्ता), जिन-वाणी, पृ. 167 # 694 और #696 14. अमृतचन्द्राचार्य, पुरुषार्थसिद्धयुपाय, हिन्दी भाषाटीकाकार और सम्पादक - नाथूराम प्रेमी, परमश्रुतप्रभावक मंडल, बम्बई, 1915, पृ. 99
15. हीरालाल जैन (संकलन - अनुवाद कर्ता), जिन-वाणी, पृ. 169 # 697-699
16. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 2/4/5, 6 और 10, पृ. 35-36
17. कुन्थुसागरजी महाराज, श्रावक प्रतिक्रमणसार ( सटीक ), शिखरचन्द्र कपूरचन्द जैन, जबलपुर, 1957, पृ. 83
18. अमृतचन्द्राचार्य, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, हिन्दी भाषाटीकाकार और सम्पादक - नाथूराम प्रेमी, परमश्रुत प्रभावक मंडल, बम्बई, 1915, पृ. 100.