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सन्दर्भ सूची
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16. छान्दोग्पयोपनिषद् IV.9.3 17. मुण्डकोपनिषद् 1.2.12 18. जयधवला 1/1,1,122/368/3, (अमरावती प्रकाशन) 19. एकतयोऽपि च सर्वनृभाषा:, आदिपुराण 23/70, नयी दिल्ली: भारतीय ज्ञानपीठ, 1944 20. आदिपुराण 23/70-23/72 21. हरिवंश पुराण 58/15; देखिए महापुराण 1/187 22. स्वयम्भू स्तोत्र 97 23. कसायपाहुड 1/1,1/126/1, मथुराः भारतीय दिगम्बर जैनसंघ, 1944, (पृ. 126 पंक्ति 1) 24. गोम्मटसार, जीवकाण्ड 227/488/15 कलकत्ताः जैन सिद्धान्त प्रकाशनी संस्था 25. कार्तिकेयानुप्रेक्षा, तात्पर्यवृत्ति 1/6/15 26. हरिवंशपुराण 58/3, नयी दिल्ली: भारतीय ज्ञानपीठ 27. आदिपुराण 1/188-189, नयी दिल्ली: भारतीय ज्ञानपीठ, 1944 28. रणजीत सिंह कूमट, ध्यान से स्वबोध, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, 2007, पृ.9 29. षट्खण्डागम, धवला टीका-समन्वित, प्रथम जिल्द, पृ.61 30. अलंकार-चिन्तामणि 1/102, भारतीय ज्ञानपीठ संस्करण 31. आदिपुराण 23/154, नयी दिल्ली: भारतीय ज्ञानपीठ, 1944 32. वही 23/155 33. मूल में भूल, भैया भगवतीदास जी और श्री बनारसीदास जी कृत दोहा पर श्री कानजी
स्वामी के प्रवचन, सोनगढ़ः श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, 1947, पृ.29 34. नादबिन्दूपनिषद् III.1.2.5 35. वही III.2.4-5 36. जिनभाषाऽधरस्पंदमंतरेण विजूंभिता।
तिर्यग्देवमनुष्याणां दृष्टिमोहमनीनशत्॥ हरिवंश पुराण 2/113 37. पतञ्जलि रचित योगसूत्र II. 35 38. अमितगति आचार्य, तत्त्वभावना, टीकाकार-सीतल प्रसादजी, मूलचन्द किसनदास ___ कापड़िया, सूरत, 1930, पृ. 320 39. बृहज्जिनवाणी संग्रह, ज. 425 40. आचार्य पार्श्वदेव, भक्ति के अंगूर और संगीत-समयसार, सम्पादक-नेमीचन्द जैन, मुनि
श्री विद्यानन्द चातुर्मास समारोह-समिति, इन्दौर, 1972, श्लोक 2, पृ.4 41. वही, पृ.3