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सन्दर्भ सूची
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40. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र x.2 41. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन,
नयी दिल्ली , 1965, XIII-6, पृ. 266 42. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र X.6 43. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन,
नयी दिल्ली, 1965, XIII.7, विशेषार्थ, पृ. 268
अध्याय 4
1. अमृतचन्द्रसूरि, पुरुषार्थसिद्धियुपाय, भाषाटीकासहित, श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, बम्बई, __1915 श्लोक 44, पृ.31 2. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनाधर्मामृत, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1960, iv. 9-10,
पृ. 109 3. अमृतचन्द्रसूरि, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, भाषाटीकासहित, श्लोक 45, पृ. 32 4. हीरालाल जैन, (सम्पादक), जैनाधर्मामृत, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1960, iv.ii, 9-10
पृ. 109-110 5. अमृतचन्द्रसूरि, पुरुषार्थसिद्धयुपाय, भाषाटीका सहित, श्लोक 51, पृ. 35 6. राजवार्तिक, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, 1952, 7/13/12/541/5; देखिए, जैनेन्द्र
सिद्धान्तकोश, भाग 1, पृ. 227 भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली, वाराणसी 1944 7. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव, हिन्दी भाषानुवाद सहित, श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल, बम्बई,
1927, viii.9, पृ. 110 8. हीरालाल जैन, (संकलन-अनुवाद कर्ता), जिन-वाणी, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नयी __ दिल्ली, वाराणसी, 1944, श्लोक 420-421, पृ. 107 और 109
9. आचारांग सूत्र, अध्याय 5, उद्देश्य 5, गाथा 98 10. रणजीत सिंह कूमट, ध्यान से स्वबोध, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर, 2007, पृ.71-72 11. हीरालाल जैन (संपादक), जैनधर्मामृत, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1960,11. 25, पृ. 116 12. हीरालाल जैन (संकलन-अनुवादकर्ता), जिन-वाणी, भारतीय, ज्ञानपीठ प्रकाशन, नयी
दिल्ली , वाराणसी, 1944, श्लोक 409 और 425, पृ. 105 और 109 13. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव, पन्नालाल बाकलीवालकृत हिन्दीभाषानुवाद, श्रीपरमश्रुत प्रभावक ___ मंडल, 1972, बम्बई VIII.II 25, 30, 31 और 52, पृ. 111, 114, 115 और 119 14. वही VIII 7, पृ. 110 15. हीरालाल जैन (संपादक), जैनधर्मामृत, भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, 1960, iv 6, पृ. 107