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सन्दर्भ सूची
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2. षड्दर्शन-समुच्चय 47 पर गुणरत्न की टीका 3. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र II:22 4. वही II:23 5. सिद्धसेन दिवाकर का न्यायावतार, श्लोक 31 और नेमिचन्द्र सिद्धान्त-चक्रवर्ती का
द्रव्यसंग्रह, श्लोक 2 6. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन,
वाराणसी, 1965, पृ. 231-232 7. वही, पृ. 229-230 8. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र VIII:2 9. हुकमचन्द भारिल्ल, तीर्थंकर महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ, चतुर्थ संस्करण, श्री
वीतराग-विज्ञान साहित्य प्रकाशन, आगरा, 1975, पृ. 113-114 10. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र IX:1 11. वही IX:2 12. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी
1965, XII:1, पृ. 252 13. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र IX:3 14. धवला पुस्तक 13, खण्ड 5, भाग4, सूत्र 26; पण्डित टोडरमल, मोक्षमार्ग प्रकाशक,
सत्साहित्य प्रकाशन एवं प्रचार विभाग, जयपुर, 1984, पृ. 230 में उद्धृत 15. हीरालाल जैन (संपादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी,
1965, पृ. 251 16. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र I.1 17. रत्नकरण्ड श्रावकाचार, श्लोक 4 18. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी ___1965, II:3, पृ. 51 19. तत्त्वार्थाधिगम सूत्र I:2 20. पण्डित टोडरमल, मोक्षमार्ग प्रकाशक, सत्साहित्य प्रकाशन एवं प्रचार विभाग, दशम
संस्करण, जयपुर, 1989, पृ. 323 21. पुरुषार्थसिद्ध्युपाय, श्लोक 216 22. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी,
1965 II:5, पृ. 52