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जैन धर्म: सार सन्देश
74. गणेशप्रसाद वर्णी, वर्णी-वाणी, प्रथम भाग, पञ्चम संस्करण, सम्पादक, नरेन्द्र विद्यार्थी,
श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थ माला, वाराणसी, 1968, पृ. 29 # 21 75. भगवती आराधना, मूल, गाथा 3/ 1347, सखाराम दोशी, सोलापुर, 1935 76. आचार्य कुन्थुसागर, सुधर्मोपदेशामृतसार, आचार्य कुन्थुसागर ग्रन्थमाला, सोलापुर, ___1940, पृ.63 77. हीरालाल जैन (सम्पादक), जैनधर्मामृत, द्वितीय संस्करण, भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन,
वाराणसी, 1965, पृ.64 78. गणेशप्रसाद वर्णी, वर्णी-वाणी, प्रथम भाग, पञ्चम संस्करण, सम्पादक, नरेन्द्र विद्यार्थी,
श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थ माला, वाराणसी, 1968, पृ. 182 # 1, पृ. 183 # 13,
पृ. 183 # 14, पृ. 344, पृ. 20 # 39, पृ. 106 # 7, पृ. 20 # 41 और पृ. 178 # 16 79. अष्टपाहुड़ (भाव पाहुड़), गाथा 67, 68 और 73; हुकमचन्द भारिल्ल (हिन्दी अनुबाद),
तीर्थंकर महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ, द्वितीय संस्करण, श्री वीतराग-विज्ञान साहित्य
प्रकाशन, आगरा, 1975, पृ. 133 80. गृहस्थो मोक्षमार्गस्थो निर्मोहो नैव मोहवान्।
अनगारो गृही श्रेयान् निर्मोहो मोहिनो मुनेः ।। जैनधर्मामृत, हीरालाल जैन (संपादक), पृ. 96-97, देखिए समन्तभद्र कृत रत्नकरण्ड
श्रावकाचार, श्लोक 33 81. पण्डित टोडरमल, मोक्षमार्ग प्रकाशक, दशम संस्करण, हुकमचन्द भारिल्ल (सम्पादक),
सत्साहित्य प्रकाशन एवं प्रचार विभाग, जयपुर 1989, पृ. 15-17 82. गणेशप्रसाद वर्णी, वर्णी-वाणी, प्रथम भाग, पञ्चम संस्करण, सम्पादक, नरेन्द्र विद्यार्थी,
श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थ माला, वाराणसी, 1968, पृ.17 # 15 83. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 2/4/60 वही. पृ.82 84. भाव पाहुड़, मूल 84 और समयसार, मूल 154 85. नयचक्र बृहद् गाथा 291 और 376, माणिकचन्द्र ग्रन्थमाला, बम्बई विक्रमी संवत् 1977 86. समयसार, प्रवचनकार-गणेशप्रसाद वर्णी, सम्पादक-पण्डित पन्ना लाल, श्री गणेशाप्रसाद
वर्णी ग्रन्थमाला, वाराणसी, 1969, पृ. प्रस्तावना 26 87. रयणसार, गाथा 70 88. अमृताशीति 59
अध्याय 3 1. नाथूराम डोंगरीय जैन, जैन-धर्म, जैन धर्म' प्रकाशक कार्यालय, द्वितीय संस्करण,
बिजनौर, 1941, पृ. 34-35 और 37