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जैन धर्म: सार सन्देश
15. उत्तराध्ययन सूत्र XXIII.23 16. उत्तराध्ययन सूत्र XXIII.29 17. उत्तराध्ययन सूत्र XXIII.24 और 30 18. उत्तराध्ययन सूत्र XXIII.25-32 19. कल्प सूत्र में कहा गया है कि वलभी का सम्मेलन महावीर के परिनिर्वाण (ईसा पूर्व
527) के 980 या 993 वर्ष बाद हुआ था जिसके अनुसार यह सम्मेलन या तो लगभग
454 ईस्वी में या उसके 13 वर्ष बाद लगभग 467 ईस्वी में हुआ होगा। 20. जैन सूत्राज, भाग 1, सेक्रेड बुक्स ऑफ़ दि ईस्ट, अंक XXII, सम्पादक, एफ. मैक्समूलर,
अनुवादक, हरमन जाकोबी, पुनर्मुद्रण, दिल्ली: मोतीलाल बनारसीदास, 1964, प्रस्तावना, पृ.31vi
अध्याय 2 1. नाथूराम डोंगरीय जैन, जैन-धर्म, जैन धर्म प्रकाशक कार्यालय, द्वितीय संस्करण, बिजनौर,
1941, पृ. 16-17 2. नरेन्द्र विद्यार्थी (सम्पादक), वर्णी-वाणी, प्रथम भाग 'पञ्चम संस्करण, श्री गणेशप्रसाद
वर्णी जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी, 1968, पृ. 369-377 3. नाथूराम डोंगरीय जैन, जैन-धर्म, जैनधर्म' प्रकाशक कार्यालय, द्वितीय संस्करण,
बिजनौर 1941, पृ. 26 4. परमात्म प्रकाश, मूल 2/68 राजचन्द्र ग्रन्थमाला, द्वितीय संस्करण, विक्रमी संवत 2017 5. महापुराण 47/302, भारतीय ज्ञानपीठ, बनारस, 1951 6. चारित्रसार 3/1, महाबीर जी प्रकाशन, वीर निर्वाण सम्वत्, 2488 7. प्रवचनसार तात्पर्य वृत्ति, 7/9/9 8. सर्वार्थसिद्धि 9/2/409/11 (इष्ट स्थाने धत्ते इति धर्मः), भारतीय ज्ञानपीठ बनारस, 1955 9. राजवार्तिक 9/2/3/591/32, भारतीय ज्ञानपीठ, बनारस, वि. सम्वत 2008 10. रत्नकरण्ड श्रावकाचार 2 (संसार दुःखतः सत्त्वान् यो धरत्युत्तमे सुखे) 11. महापुराण 2/37 12. पंचाध्यायी उत्तरार्ध 715, पंडित देवकीनन्दन, 1932 13. शुभचन्द्राचार्य, ज्ञानार्णव 2/10/4, पन्नालाल बाकलीवाल (हिन्दी अनुवादक), श्री
परमश्रुत प्रभावक मंडल, बम्बई, 1927, पृ. 50 14. बोध पाहुड़, मूल 25, माणिक चन्द्र ग्रन्थमाला, बम्बई, विक्रमी सम्वत् 1977 15. कुरल काव्य 25/2, पं. गोविन्दराज जैन शास्त्री, वीर निर्वाण सम्वत् 2480