________________ सुखी होने की कला जो आपको अच्छा लगता है, वह दूसरों को भी अच्छा लगता है | जो आपको अच्छा नहीं लगता, वह दुसरों को भी अच्छा नहीं लगता | जो आपको अच्छा लगता है, वैसा व्यवहार अन्यों के साथ करें / जो आपको अच्छा नहीं लगता, वैसा व्यवहार अन्य लोगों के साथ मत करें। 'एक आत्मा को जाना, उसने सब जाना' निग्रंथ प्रवचन / श्रीमद् राजचंद्र निजाभ्यास मंडप तथा विहार भवन ट्रस्ट ... अमदावाद - वडवा -ईडर .......... ......... ......... ................ ........ ..