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________________ उपसंहार एवं लाभ 107 उत्तर - सुनो, समझो ! द्रव्य, गुण, पर्याय में परस्पर कथंचित् स्वतंत्रता है, यह तो वस्तु-व्यवस्था का प्राण है। इसलिए हम पुद्गल के सम्बन्ध में भी यह स्वतन्त्रता स्पष्ट कर सकते हैं - ___ एक कच्चा आम है। उसे जितना बड़ा होना था उतना तो वह बड़ा हो गया है। अब उसे पीला एवं मीठा होना ही बाकी है - अर्थात् उसे अब मात्र पकना है। घास में डालकर भी उसे पका सकते हैं अथवा वातावरण की गरमी से भी वह स्वयं धीरे-धीरे पकते हुए पीला होता जायेगा, मीठा भी होता रहेगा एवं मुलायम भी होगा। ___ स्पर्श में कठोरता के स्थान पर मृदु होगा, खट्टे रस के स्थान पर मीठा रस बनेगा, कच्चे आम की गंध एवं मीठे आम की गंध में भी विशिष्ट बदल तो होता ही है, भले ही हम उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर पायेंगे। हरे रंग का परिणमन भी पीलेपन में होता है, इत्यादि सामान्य कथन हुआ। यहाँ हम पाठकों से पूछना चाहते हैं कि स्पर्श, कठोरता के स्थान पर मुलायम हो गया; हरा रंग भी जितना पीला होना सहज संभव था उतना हुआ, गंध में भी जो बदल होना था, वह हुआ। अब प्रश्न यह है कि क्या आम के रस को मीठा भी होना अनिवार्य है अथवा वह खट्टा भी रह सकता है ? __ आप कहोगे, खट्टा भी रह सकता है तो इसका अर्थ यह हुआ कि स्पर्श की मृदुता, वर्ण का पीलापन और विशिष्ट गंध का होना - ये तीनों (स्पर्श, वर्ण एवं गंध गुणों की पर्यायें) मिलकर भी खट्टे रस को मीठा बनाने में असमर्थ ही रहे। ___ अथवा यह भी हो सकता है कि आम का रंग अपेक्षित पीला न हो और आम मीठा हो जाय। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रत्येक गुण का परिणमन अपने-अपने में स्वतन्त्र है, कोई किसी के आधीन नहीं है।
SR No.007126
Book TitleMokshmarg Ki Purnata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherTodarmal Smarak Trust
Publication Year2007
Total Pages218
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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