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________________ याने कि जातीयवाद, संप्रदायवाद, भाषावाद राष्ट्र वाद, इनसे समतायोगी हमेशा दूर रहेंगे क्योंकि वे जानते हैं ये भेद शरीर से लेकर है, आत्मा से लेकर नही । इससे सामाजिक उत्थान को ही मदद होगी । ज- सामायिक और भौतिक लाभ सामायिक करके प्रतिफल मे किसी पदार्थ, ऐश्वर्य, वैभव, भोग, पुत्र, धन कीर्ति या राज्य ऐसे भौतिक लाभों की अभिलाषा रखना याने कि भगवान का दिया हुआ यह अमृत कलश कोडियों के दाम बेचने जैसा है । सामायिक कोइ भौतिक लाभ के लिए नही की जाती । सामायिक का सबसे महत्वपूर्ण लाभ है - आध्यात्मिक लाभ | तो देखते हैं, ह - सामायिक के अध्यात्मिक लाभ सामायिक का सबसे महत्व का लाभ है, अंतर्बाहय समता की प्राप्ति । यही समता हमारे जीवन मे आध्यात्मिक क्रांति की शुरूवात है । समता के कारण हमारा मन सभी जीवोंके प्रति प्रेमभावना और करुणासे भर जाता है । सब जीवोंसे एक मैत्रीभावना पैदा होती है। इस वजह से हम सही मानो मे अहिंसक बनने लग जाते हैं, हमें हितकारी सत्य बोलनेकी प्रेरणा मिलती है। अस्तेयता अपनेआप जीवन मे उतर जाती है । शरीर के सबंधित वस्तुए धन मकान स्त्री आदि के आकर्षण समतायोगी को कम प्रलोभित करते हैं। इस वजह से वह संयमी तथा अपरीग्रही बनने लगता है। साधक जब किसी दुखीपीडितों को देखता है। तो दया से भर जाता है और उन्हे शांति पहुँचाने के लिए प्रयत्न करता है इसतरह करूणभाव पैदा होत है। ૨૮
SR No.007120
Book TitleSamayik Ek Adhyatmik Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Lunkad
PublisherKalpana Lunkad
Publication Year2001
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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