SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब) पाँव से लेकर सिरतक पूरा शरीर शिथिल ( relax ) करो । क) पूरे शरीर की शिथिलता महसूस करो । ड) फिर ३ - ४ दीर्घश्वसन लेकर, आँखे मूंदकर, मन को स्थिर करके । ६) नवकार मंत्र कहिए ७) बाद में गुरु वंदना - निम्न हिंदी रूपांतरित अथवा तिखुत्तो का पाठ पूर्ण अर्थ समझकर कहिए । गुरु वंदना - बादमे - ८) इरियावहिया का पाठ (आलोचना सूत्र ) कहिए नीचे सारांश रूपमे हिंदी में दिया है । आते जाते दैनंदिन के कार्य मे, 66 "ज्ञानरूप, कल्याणरूप, मंगलरूप हो आप | मार्गदर्शक हे गुरू, देव रूप हो आप ॥ वंदन करता हूँ त्रिवार झुकाकर यह शीष । ज्ञान दर्शन चारित्र और मिले आपका आशीष || | ८८ दुख पहुँचाया हो जीवों को जाने या अनजाने में, दुष्कृत मिथ्या हो सकल आज के इस साधना मे । " ९) फिर नीचे दिया हुआ सामायिक संकल्प कीजिए या "करेमी भंते ” का पाठ पूर्ण अर्थ समझकर कहिए । राग व्देष तज, संकल्प कर, समता रस पान । एक मुहुर्त स्थिर हो करू कायोत्सर्ग का निधान || सुमौन एकाग्र ध्यान मे भुलू देहका भान । आत्म जीवन से हठाउँ कर्मोका व्यापार ॥ यह संकल्प करके बाद में ध्यान शुरू होता है । १८ "
SR No.007120
Book TitleSamayik Ek Adhyatmik Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhash Lunkad
PublisherKalpana Lunkad
Publication Year2001
Total Pages60
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy