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________________ ( १८८) जीर्णोद्धाराश्चकारिताः तथा सचिवेश्वर श्री वस्तुपालेन इह स्वयं निमार्पितं श्री शत्रुजय महातीर्थावतार श्रीमदादि तीर्थंकर ऋषभदेव रुंहनक पुरावतार श्री पार्श्वनाथदेव भत्य पुरावतार श्री महावीरदेव प्रशस्ति सहित कस्मिरा वतार श्री सरस्वती मूर्ति देवकुलिकां चतुष्टय जिनयुगल अश्वावलोकना साम्ब-प्रद्युम्न शिखरेषु श्री नेमिनाथ देवालंकृत देवकुलिका चतुष्टय दुर्गाधिरुढ स्वपितामह श्री सोम निज पितृ ठा. आसाराज मूर्तिद्वितय चारु दोरण त्रय श्री नेमिनाथ देव आत्मीय पूर्व जाग्रजानुज पुत्रादि मूर्ति समन्वित मुखोद्घाटनकस्तंभ श्री अष्टापद महातीर्थ प्रभृति अनेक कीर्तन परंपरा विराजते श्री नेमि नाथ देवाधिदेव विभूषित श्रीमत् उजयंत महातीर्थे मात्मनस्तथा स्वधर्मचारिणो प्राग्वाट ज्ञातीय ठा. काहड पुत्र्याः ठा. पानकुक्षे संभूताया महं श्री ललिता देव्या अथो विनिहि श्री नागेंद्र गच्छे भट्टारक श्री महेंद्रसरि संताने शिष्य श्री शांतिसूरि शिष्य श्री आनंदसूरि श्री अमरमरि पदे भट्टारक भी हरिभद्रसरि पट्टालंकरण प्रभु श्री विजयसेनमरि प्रतिष्ठित श्री अजितनाथ देवादि वि. शति तीर्थकरालंकृतोयं अभिनवसमंडप श्री समेतशिखर महा तीर्थावतार प्रासादकारितः इत्यादि.
SR No.007110
Book TitleGirnar Tirthno Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Sasti Vanchanmala
PublisherJain Sasti Vanchanmala
Publication Year1930
Total Pages286
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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