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प्रकाशकीयं निवेदनम्
कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य भगवन्तनी नवमी जन्मशताब्दी (वि.सं. १९४५ - २०४५) नी उजवणीना उपलक्ष्यमां, परमवन्दनीय आचार्य भगवन्त श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजी महाराजनी प्रेरणाथी स्थपायेल आ ट्रस्ट तेओ श्रीना पट्टधर परमपूज्य आचार्य श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी म.ना मार्गदर्शन अनुसार अनेकविध साहित्यिक अने शैक्षणिक प्रवृत्तिओ करे छे. मां संशोधित - सम्पादित बहुमूल्य ग्रन्थोनुं प्रकाशन, 'अनुसंधान' नामक शोधपत्रिका ( अद्यावधि ७० अंक) नुं प्रकाशन, विद्वानोनुं ‘श्रीहेमचन्द्राचार्य चन्द्रक' थी सन्मान वगेरे मुख्य छे.
मुख्यत्वे कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य विरचित ग्रन्थो तथा ते ग्रन्थो परना टीका व. साहित्यने ज प्रकाशित करता अमारा ट्रस्टने आ वखते श्रीहेमचन्द्राचार्य करतां पण घणा प्राचीन एवा आचार्य श्रीभद्रेश्वरसूरि द्वारा रचायेल प्राकृतभाषामय कहावली नामक ग्रन्थना प्रथम परिच्छेदना द्वितीय खण्डनुं प्रकाशन करवानो लाभ मळ्यो छे ते बदल अमो खूब आनन्दनी लागणी अनुभवीए छीए.
अद्यावधि अप्रकट एवा आ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ग्रन्थनुं संशोधन तथा सम्पादन प्राचीन ताडपत्रीय पोथी उपरथी पू.आचार्यश्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजी महाराजनी प्रेरणा तथा मार्गदर्शन अनुसार एमना शिष्योए कर्तुं छे. आवा ग्रन्थना प्रकाशननो लाभ अमारा ट्रस्टने आपवा बदल अमे पू. आचार्य भगवन्तना ऋणी छीए.
आ ग्रन्थना प्रकाशनमां आर्थिक सहयोग आपवा बदल श्री बोरीवली श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ संघ, मण्डपेश्वर रोड, बोरीवली (वे. ) ना अमो आभारी छीए.
आवा उत्तम ग्रन्थोनां प्रकाशननो लाभ अमारा ट्रस्टने मळ्या ज करे एवी आशा सह...
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कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधिना ट्रस्टीओ