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सन्दर्भो वगेरे शोधी, प्रेसमां तेनुं मुद्रण-प्रूफशोधन वगेरे करावी प्रकाशन करवामां आजे साडाचार वर्षो वीती चूक्यां छे. आटलो लांबो समयगाळो थयो तेमां, वधु समय तो प्रतिलिपि करवामां तेमज मुद्रणमां ज थयो छे, साथे मारी पण अन्यान्य समयोचित प्रवृत्तिओ अने केटलाक अंशे प्रमादमां समयव्यय तथा अशुद्धिओ टाळवामां अने सन्दर्भो शोधवामां घणो समय थयो छे. तेथी आ तके आ ग्रन्थना प्रकाशननी प्रतीक्षा करी रह्या विद्वज्जनोनी क्षमा प्रार्थं छु. साथे ज, कहावलीना प्रथम खण्डना प्रकाशित ग्रन्थने जोई - "आ ग्रन्थने मस्तके चढावी नाचवा- मन थाय छे !!" - एवा उद्गारो काढनारा मान्य विद्वान् डो. मधुसूदन ढांकीनी बीजा खण्डना ग्रन्थने अवलोकवानी इच्छा, ग्रन्थना प्रकाशन पूर्वे ज तेमनुं अवसान थई जवाथी, पूर्ण न थई शकी तेनो खेद व्यक्त करुं छु.
आ कार्य करवामां सतत प्रेरणा, सर्व सामग्री, वात्सल्यपूर्ण मार्गदर्शन तथा कालोचित सूचनो द्वारा सदैव कृपामृत वर्षावनार पूज्य गुरुभगवन्त आ. श्री विजयशीलचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजनो हुं हमेशनो ऋणी छु अने तेमनुं आq ऋण सदा मुझ पर चडतुं रहे तेवी प्रार्थना करूं छु.
साथे, मास गुरुभ्राता, विद्वान् मुनिश्रीत्रैलोक्यमण्डनविजयजीए पण आ कार्यमा पुस्तकादि सामग्री तथा सन्दर्भो पूरा पाडवामां सतत सहाय करी छे अने प्रेरणा-प्रोत्साहन आप्यां छे, तेमनो पण आ अवसरे ऋणस्वीकार करूं छु.
वळी, आ ग्रन्थनी ताडपत्रीय प्रतनी झेरोक्षनकल मेळवी आपवा बदल पू.आ. श्रीविजयसोमचन्द्रसूरिजीना शिष्यो मुनिश्रीसुयशचन्द्रविजयजी तथा मुनिश्रीसुजसचन्द्रविजयजीनो अने आ. कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर, कोबामांथी ते ज ताडपत्रीय प्रतिनी वधु स्वच्छ अने स्पष्ट झेरोक्ष नकल मेळवी आपवा बदल विदुषी संशोधिका सा.श्री चन्दनबालाश्रीजी म.नो कृतज्ञतापूर्वक आभार मानुं . आ ग्रन्थना सम्पादन माटे श्रीहेमचन्द्राचार्य ज्ञानमन्दिर, पाटणगत संघवीना पाडाना भण्डारनी ताडपत्रीय पोथीनी झेरोक्ष नकल वापरवानी अनुमति आपवा बदल तेना वहीवटदारोनो आभार मानु छु. वळी, आ सम्पादन माटेना उपयुक्त ग्रन्थो -
श्रीस्थानाङ्गसूत्र (सम्पादक - पू. जम्बूविजयजी म.) श्रीभगवतीसूत्र श्रीज्ञाताधर्मकथासूत्र . श्रीउपासकदशा सूत्र श्रीअंतगडदशासूत्र श्रीअनुत्तरौपपातिकसूत्र श्रीनिरयावलिका सूत्र श्रीविपाकसूत्र श्रीआवश्यकचूर्ण श्रीदशवैकालिकचूर्णि (दरेकना सम्पादक - पू. सागरजी म.) श्रीनिशीथ चूर्णि (श्रीसन्मति ज्ञानपीठ आगरा) श्रीउत्तराध्ययन सूत्र - नेमिचन्द्रसूरिरचितवृत्ति (प्रका. शारदाबेन चीमनभाई एज्युकेशनल रिसर्च सेन्टर)
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