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________________ ६३६ इदमेतत्किं यत्तद्भ्यष्टो डिणा ॥ ३६९ ॥ तदो णः स्यादौ क्वचित् ॥ ३७० ॥ किम: कस्त्र - तसोश्च ॥ ३७१ ॥ इदम् इमः || ३।७२ ॥ पुं- स्त्रियोर्नवाऽयमिमिआ सौ ॥ ३७३ ॥ स्सि स्सयोरत् ॥ ३।७४ ॥ झेन ॥ ३७५ ॥ न त्थः ॥ ३७६ ॥ णोऽम् शस्-टा-भिसि ॥ ३७७ ॥ अमेणम् || ३|७८ ॥ क्लीवे स्यमेदमिणमो च ॥ ३१७९ ॥ किमः किं ॥ ३८० ॥ वेदं तदेतदो साम्यां से सिमौ ॥ ३८१ ॥ वैतदो ङसेस्तो - ताहे ॥ ३८२ ॥ त्थे च तस्य लुक् ॥ ३८३ ॥ एरदीती म्मौ वा ॥ ३८४ ॥ वैसेणमिणमो सिना ॥ ३८५ ।। तदक्ष तः सोऽक्लीवे ॥ ३१८६ ॥ वाऽदसो दस्य होऽनोदाम् ॥ ३॥८७॥ मुः स्यादौ ॥ ३८८ ॥ म्मावये वा ॥ ३८९ ॥ युष्मदस्तं- तुं - तुवं तुह तुमं सिना ॥ ३९० ॥ भे-तुब्भे-तुब्भ- तुम्ह- तुम्हे - उय्हे जसा ॥ ३९१ ॥ तं- तुं - तुमं तुवं तुह-तुमे तुए अमा || ३।९२ ॥ - - - वो - तुब्भ-तुब्भे- तुम्हे - उय्हे - भे शसा ॥ ३९३ ॥ -दि-दे-ते- तइ-तए तुमं तुम तुमए तुमे-तुमाइ टा आमा || ३|१०० ॥ तुमे तुमए-तुमाइ - तइ-तए ङिना || ३|१०१ ॥ प्राकृतव्याकरणस्य मूलसूत्राणि - - तु तुव तुम तुह-तुम्भा ङौ || ३|१०२ ॥ सुप ||३|१०३ ॥ ब्भो म्ह ज्झौ वा ॥ ३।१०४ ॥ अस्मदो म्मि अम्मि अम्हि हं अहं अहयं सिना ॥ ३।१०५ ॥ अम्ह-अम्हे - अम्हो - मो वयं भे जसा ॥ ३|१०६ ॥ णे णं-मि-अम्मि-अम्ह मम्ह-मं-ममं-मिमं अहं अमा ॥। ३।१०७ ॥ अम्हे - अम्हो - अम्हणे शसा || ३|१०८ ॥ मि मे मम मम ममाइ मह मए-मवाइणे रा ॥३॥१०९ ॥ - - - अम्हेहि-अम्हाहि अम्ह - अम्हे णे भिसा ॥ ३।११० ॥ मइ-मम-मह- मज्झा ङसौ ॥ ३।१११ ॥ ममा - ऽम्हौ भ्यसि ॥ ३।११२ ॥ मे - मइ - मम - मह - महं- मज्झ-मज्झं- अम्ह-अम्हं ङसा ॥। ३।११३ ॥ - णो- मज्झ - अम्ह-अम्हं अम्हे - अम्हो-अम्हाण-ममाण महाण- मज्झाण आमा || ३|११४ ॥ मि मह ममाह मए मे डिना || ३|११५ ।। अम्ह-मम-मह- मज्झा ङौ || ३|११६ ॥ सुपि ।। ३।११७ ।। जेस्ती तृतीयादी || ३|११८ ॥ र्दो - बे ॥ ३।११९ ॥ दुवे- दोण्णि बेणि च जस्-शसा ॥। ३।१२० ॥ स्तिणिः || ३|१२१ ॥ चतुरश्चत्तारो - चउरो - चत्तारि ॥ ३।१२२ ॥ संख्याया आमो पह-हं ॥। ३।१२३ ॥ शेषेऽदन्तवत् ॥ ३।१२४ ॥ ॥ ३९४ ॥ भे तुम्मेहि उम्मेहि उम्हेहिं तुम्हेहिं उम्हेहि भिसा ॥ ३३९५ ॥ न दीर्घो णो ॥ ३।१२५ ॥ तइ-तुव- तुम - तुह-तुब्भा ङसौ ॥ ३९६ ॥ डसेलुक् ॥ ३।१२६ ॥ तुम्ह - तुब्भ-तहिन्तो ङसिना || ३|९७ ॥ भ्यसश्च हिः || ३|१२७ ॥ ङेर्डेः || ३|१२८ ॥ तुम्भ तुम्होव्होम्हा भ्यसि ॥ ३९८ ॥ - तइ-तु-ते- तुम्हं - तुह-तुहं - तुव - तुम - तुमे - तुमो- तुमाइ दि-दे - एत् ॥ ३१२९ ॥ इ-ए-तुब्भोभोय्हा ङसा ॥ ३९९ ॥ द्विवचनस्य बहुवचनम् ॥ ३|१३० ॥ तु वो भेतुब्ध-तु तुम्माण तुवाण-तुमाण- तुहाण उम्हाण चतुर्थ्याः षष्ठी ॥ ३।१३१ ।। तादव | ३|१३२ ॥ वधाड्डाश्च वा || ३|१३३ ॥
SR No.007102
Book TitleVyutpatti Dipikabhidhan Dhundikaya Samarthitam Siddha Hem Prakrit Vyakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVimalkirtivijay
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages368
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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