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प्राकृतव्याकरणस्य मूलसूत्राणि
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क्त्वस्तुमत्तूण-तुआणाः ॥ २२१४६ ॥ इदमर्थस्य केरः ॥ २१४७ ॥ पर-राजभ्यां क-डिक्की च ॥ २॥१४८ ॥ युष्मदस्मदोऽज एच्चयः ।। २।१४९ ॥ वतेवः ॥ २॥१५०॥ सर्वाङ्गादीनस्येकः ॥ २॥१५१ ॥ पथो णस्येकट् ॥ २॥१५२ ॥ ईयस्याऽऽत्मनो णयः ।। २।१५३ ॥ त्वस्य डिमा-त्तणौ वा ॥ २॥१५४ ॥ अनङ्कोठात्तैलस्य डेल्लः ॥ २१५५ ॥ यत्तदेतदोऽतोरित्तिअ एतल्क् च ॥ २॥१५६ ॥ इदं-किमश्च डेत्तिअ-डेत्तिल-डेदहाः ॥ २॥१५७ ॥ कृत्वसो हुत्तं ॥ २॥१५८ ॥ आल्विल्लोल्लाल-वन्त-मन्तेत्तेर-मणा मतोः ॥ २।१५९ ॥ त्तो-दो तसो वा ॥ २२१६० ॥ त्रपो हि-ह-त्थाः ।। २।१६१ ॥ वैकादः सि-सि-इआः ॥ २।१६२ ॥ डिल्ल-डुल्लौ भवे ॥ २॥१६३ ॥ स्वार्थे कश्च वा ॥ २१६४ ॥ ल्लो नवैकाद्वा ॥ २१६५ ॥ उपरेः संव्याने ॥ २१६६ ॥ भ्रुवो मया डमया ॥ २।१६७ ॥ शनैसो डिअम् ॥ २॥१६८ ॥ मनाको नवा डयं च ॥ २१६९ ॥ मिश्राड्डालिअः ॥ २२१७० ॥ रो दीर्घात् ॥ २॥१७१ ॥ त्वादेः सः ॥ २॥१७२ ॥ विद्युत्-पत्र-पीता-ऽन्धाल्लः ॥ २।१७३ ॥ गोणादयः ।। २।१७४ ॥ अव्ययम् ॥ २।१७५ ॥ तं वाक्योपन्यासे || २१७६ ॥ आम अभ्युपगमे ॥ २११७७ ॥ णवि वैपरीत्ये ॥ २१७८ ॥ पुणरुत्तं कृतकरणे ॥ २॥१७९ ॥ हन्दि विषाद-विकल्प-पश्चात्ताप-निश्चय-सत्ये ॥ २।१८० ॥ हन्द च गृहाणार्थे ॥ २१८१ ॥
मिव-पिव-विव-व्व-व-विअ इवार्थे वा ॥ २१८२ ॥ जेण-तेण लक्षणे ॥ २॥१८३ ॥ णइ-चेअ-चिअ-च्च अवधारणे ॥ २॥१८४ ॥ बले निर्धारण-निश्चययोः ॥ २११८५ ॥ किरेर-हिर किलार्थे वा ॥ २१८६ ॥ णवर केवले ॥ २।१८७ ॥ आनन्तर्ये णवरि ॥ २२१८८ ॥ अलाहि निवारणे ॥ २॥१८९ ॥ अण-णाई नबर्थे । २।१९० ॥ माइं माऽर्थे । २।१९१ ॥ हद्धी निर्वेदे ॥ २११९२ ॥ वेव्वे भय-वारण-विषादे ॥ २।१९३ ॥ वेव्व च आमन्त्रणे ॥ २११९४ ॥ मामि-हला-हले सख्या वा ॥ २।१९५ ॥ दे सम्मुखीकरणे च ॥ २।१९६ ॥ हुं दान-पृच्छा-निवारणे ॥ २।१९७ ॥ हु-खु निश्चय-वितर्क-सम्भावन-विस्मये ॥ २।१९८ ॥ ऊ गर्हा-ऽऽक्षेप-विस्मय-सूचने ॥ २११९९ ॥ थू कुत्सायाम् ॥ २॥२०० ॥ रे-अरे सम्भाषण-रतिकलहे ॥ २।२०१ ॥ हरे क्षेपे च ॥ २२०२ ॥ ओ सूचना-पश्चात्तापे ॥ २।२०३ ॥ अव्वो सूचना-दुःख-सम्भाषणा-ऽपराध-विस्मया-ऽऽनन्दाऽऽदर-भय-खेद-विषाद-पश्चात्तापे ।। २।२०४ ।। अइ सम्भावने ॥ २॥२०५ ॥ वणे निश्चय-विकल्पा-ऽनुकम्प्ये च ॥ २।२०६ ॥ मणे विमर्शे ॥ २२०७ ॥ अम्मो आश्चर्ये ॥ २२२०८ ॥ स्वयमोऽर्थे अप्पणो नवा ॥ २२०९ ॥ प्रत्येकमः पाडिक्कं-पाडिएक्कं ॥ २२१० ॥ उअ पश्य ॥ २।२११ ॥ इहरा इतरथा ॥ २।२१२ ॥ एक्कसरिअं झगिति-सम्प्रति ॥ २२२१३ ॥ मोरउल्ला मुधा ॥ २२२१४ ॥ दराऽर्धाऽल्पे ॥ २।२१५ ॥ किणो प्रश्ने ॥ २२२१६ ॥