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________________ 586 Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 24) Jalai vadavānalo via...... ___ (p. 142) जलइ वलवाणलो विअ फुट्टइ सेलो व्व रामबाणाहिहओ। रसइ जलओ व्व उअही खुहिओ लंघेइ मारुओ व्व णहअलं ॥ (ज्वलति वडवानल इव स्फुटति शैल इव रामबाणाभिहतः। रसति जलद इवोदधिः क्षुभितो लङघयति मारुत इव नभस्तलम् ॥) -Setu V. 80 (Calcutta edn) ,, V.77 (NS edn) 25) Vahai va mahialabhario...... (p. 182) वहइ व महिअलभरिओ गोल्लेइ व पच्छओ धरेइ व पुरओ। पेल्लेइ व पासगओ गरुआइ व उवरिसंठिओ तम-णिवहो ॥ (वहतीव महीतलभूतो नोदयतीव पश्चाद्धारयतीव पुरतः। प्रेरयतीव (? पीडयतीव) पार्श्वगतो गुरुकायत इवोपरिसंस्थितस्तमोनिवहः ॥) -Setux.30 26) Sohai visuddhakirano...... (p. 214) सोहइ विसुद्ध-किरणो गअण-समुद्दम्मि रअणि-वेला-लग्गो। तारा-मोत्ता-वअरो फुड-विहडिअ-मेह-सिप्पि-संपुड-मुक्को ॥ (शोभते विशुद्ध-किरणो गगन-समुद्रे रजनि-वेला-लग्नः। , तारा-मुक्ता-प्रकरः स्फुट-विघटित-मेघ-शुक्ति-संपुट-मुक्तः ॥) । -Setu I. 22 27) Pinapaoharalaggam...... (p. 215) पीण-पओहर-लग्गं दिसाणे पवसंत-जलअ-समअ-विइण्णं । सोहग्ग-पढम-इण्हं पम्माअइ सरस-णहवअं इंदहणुं ॥ . (पीन-पयोधर-लग्नं दिशां प्रवसज्जलद-समय-वितीर्णम् । सौभाग्य-प्रथम-चिह्न प्रम्लायति सरस-नखपदमिन्द्रधनुः ॥) -Setu I. 24 28) Mammahadhanunigghoso...... (p. 216) मम्मह-(पा. मे. वम्मह)-धणु-णिग्योसो कमल-वण-क्खलिअ-लच्छि-णेउर-सहो । सुब्वइ कलहंस-रवो महु अर-(पा. भे. महुअरि.)वाहित्त-णलिणि-पडिसंलावो ॥ (मन्मथ-धनुर्निर्घोषः कमल-वन-स्खलित-लक्ष्मी-नूपुर-शब्दः ।। श्रूयते कलहंसरवो मधुकर (पा. मे. मधुकरी-)व्याहृत-नलिनी-प्रतिसंलापः ॥) -Setu I. 29
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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