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________________ Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 493 (p. 400,v.670) 74) Niggandadurāroham....... निग्गंडदुरारोहं मा पुत्तय पाडलं समारुहसु । आरूढनिवडिया के इमीए न कया इह ग्गामे ॥ (निर्गण्डदुरारोहां मा पुत्रक पाटलां समारोह । आरूढ-निपतिता केऽनयान कृता इह ग्रामे ॥) GS V. 68 75) Kulabā liäe pecchaha...... (p. 413, v. 696) कुलबालियाए पेच्छह जोन्वण-लायण्ण-विन्भम-विलासा। पवसंति व्व पवसिए एंति व्व पिए घरं एंते॥ (कुलबालिकायाः प्रेक्षध्वं यौवन-लावण्य-विभ्रम-विलासाः। प्रवसन्तीव प्रोषिते आयन्तीव गृहमायति ।।) -Cited earlier in DR II. 15-16,GS (W) 871 76) Saloe ccia sure...... - (p. 418, v. 715) सालोए च्चिअ सूरे घरिणी घरसामियस्स घेत्तूण । नेच्छंतस्स य चलणे धुयइ हांती हसंतस्स ॥ (सालोके एव सूर्ये गृहिणी गृहस्वामिकस्य/स्वामिनो गृहीत्वा। अनिच्छतश्च चरणौ धावति हसन्ती हसतः॥) GS II.30 77) Jam jam karesi...... (p. 425, v. 727) जं जं करेसि जं जं च जंपसे जह तुम नियंसेसि । तं तमणुसिक्खिरीए दियहो दियहा न संपडइ/संवडइ ॥ (यद् यद् करोषि यद् यच्च जल्पसि यथा त्वं निवस्से ( = परिदधासि)। तत्तदनुशिक्षणशीलाया दिवसो दिवसो न संपद्यते संपतति ॥) -GS IV.78 78) Tam tiasabandimokkham....... (p. 456, (Viveka) v. 612) तं तिअसबंदिमोक्खं समत्त-लोअस्स हिअअसल्लुद्धरणं । सुणह अणुरायइंधं सोयादुक्खक्खयं दसमुहस्स वहं॥ (तं त्रिदशबन्दिमोक्षं समस्तलोकस्य हृदयशल्योद्धरणम् । शृणुतानुरागचिह्न सीतादुःखक्षयं दशमुखस्य वधम् ॥) -Setubandha I. 12
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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