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Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics
169)
Manmesi (? mannasi) mahumaha-paraam...... (p. 550, v. 235) मंतेसि/मनसि महुमह-पण संदाणेसि तिअसेस पाअव-रअणं ।
ओजसु (?ओं जहसु) मुद्धसहावं संभावेसु सुरणाह जाअव-लोअं॥ . (मन्त्रयसे/मनुषे मधुमथ-प्रणयं संदानयसि त्रिदशेश पादप-रत्नम् । अपजहि मुग्धस्वभावं संभावय सुरनाथ यादवलोकम् ॥)
-Sarvasenasya Harivijaye
170)
Vikkii.ai māhamasammi .....
___ (p. 575, v. 11) विक्किणइ माह-मासम्मि पामरो पारडि (पारिडि ? पारयं) बइल्लेण । दिढि समम्पुरे (? णिद्धममुम्मुरे) सामलीअ थणए णिअच्छंतो ॥ (विक्रोणोते माघमासे पामरः प्रावृति (?प्रावारक) बलीवर्दैन । दृष्टि समुर्मुरौ (? निर्धूम-मुर्मुरौ) श्यामल्याः स्तनौ पश्यन् ॥)
-GS III. 38
(p. 576, v. 12)
171) Paadiam sohaggam......
पाअडिअं सोहागं तंबाए उअह गोढ-मज्झम्मि । दुट्ठ-वसहस्स सिंगे अच्छिउडं कंडुअंतीए ॥ (प्रकटितं सौभाग्यं गवा पश्यत गोष्ठ-मक्ष्ये । दुष्ट-वृषभस्य शृङ्गे 5 क्षिपुटं कण्डूयमानया ॥)
-GS V.60
172) Pulaam janenti...
(p. 576, v. 13) पुलअं जणेति दहकंधरस्स राहव-सरा सरीरम्मि । जणअसुआ-फंस-महग्यविअ (? महग्घ) करअलअड्डिअ-विमुक्का ॥ . (पुलकं जनयन्ति दशकन्धरस्य राघवशराः शरीरे । जनकसुता-स्पर्श-महाघ-करतलाकृष्ट-विमुक्ताः ॥)
This verse which mentions the names of Dasakandhara ( = Rāvana), Rāghava (=Rāma) and Janakasuta (= Sita) is in the gāthā metre, and we therefore cannot hope to trace it to Setubandha which is composed in Skandhaka metre. The Calcutta edition of Setubandha, however, presents a verse in Skandhaka metre upon which the above gatha seems to be based :
पुलअं जणेति दसकंधरस्स राहव-सरा सरीर-अडंता। जणअतणआ-पओहर-प्फंस-महग्घविअ-कर-जुअल-णिवूढा ॥ (पुलकं जनयन्ति दशकन्धरस्य राघवशराः शरीरपतन्तः । जनकतनया-पयोधर-स्पर्श-महाधित-कर-युगल-नियूंढाः ॥)
--Setubandha XV. 66
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