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________________ Prakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics 301 1412) Milia-nisaara-purao...... (p. 1137) मिलिअ-णिसाअर-पुरओ सुसेल-मलअंतराल-णिम्मविअ-पहे। पेल्लिअ-तिऊड-सिहरे अज्ज वि किं तुज्झ राहवे अग्गहणं ॥ (मिलित-निशाचर-पुरतः सुवेल-मलयान्तराल-निर्मापित-पथे। प्रेरित-त्रिकूट-शिखरेऽद्यापि किं तव राघवेऽग्रहणम् ॥) -Setu XI. 98/97 (Calcutta edn) Mottina a rahunāhain..... (p. 1137) मोत्तूण अ रहुणाहं लज्जागम-सेअ-बिंदुइज्जंत-मुहो। केण व अण्णेण कओ पाआरंतरिअ-णिप्पहो दहवअणो॥ (मुक्त्वा च रघुनाथं लज्जागमस्वेदबिन्दूयमान (बिन्दु-कीर्यमाण-) मुखः । केन वान्येन कृतः प्राकारान्तरित-निष्प्रभो दशवदनः॥) -Setu XI. 125/123 (Calcutta edn) 1413) 1414) Jalai seha (? sineha )-bhaniam....... (p. 1137) जाणइ सिणेह-मणिशं मा रअणिअरि त्ति मे जुउच्छसु वअणं । उज्जाणम्मि वणम्मि अ जं सुरहिं तं लआण घेप्पइ कुसुमं ॥ (जानकि स्नेह-भणितं मा रजनीचरीति मे जुगुप्सस्व वचनम् । उद्याने वने च यत् सुरभि तल्लतानां गृह्यते कुसुमम् ॥) -Setu XI. 119 1415) Kim ra (? va) jiamtie tume..... (p. 1138) कि व(पा. भे. किमु )जीअंतीअ तुमे जइ अलि सहि ण होज्ज राहव-मरणं । अणहे उण रहुणाहे तुह मे मरण-विहुरं किलिम्मइ हिअ ॥ (किंवा किमु जीवन्त्या त्वया यद्यलोकं सखि न भवेद्राघव-मरणम् । अनघे पुना रघुनाथे तव मे मरण-विधुरं क्लाम्यति हृदयम् ॥) -Setu XI. 120/117 (Calcutta edn) ..1416) Valli valela (? Valli valei) amgam...... (p. 1147) This line forms the second half of the following gatha : जह जह वाएइ पिओ तह तह णच्चामि चंचले पिम्मे। . वल्ली वलेइ अंगं सहाव-थद्धे वि रुवखम्मि ॥ (यथा यथा वादयति प्रियस्तथा तथा नत्यामि चञ्चले प्रेमिण । वल्ली वलयत्यङ्गं स्वभाव-स्तब्धे ऽ पि वृक्षे ॥) -GS IV.4 .
SR No.006959
Book TitlePrakrit Verses in Sanskrit Works on Poetics Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherB L Institute of Indology
Publication Year1988
Total Pages790
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size11 MB
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