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________________ 7. 8. 9. भारत में करीब 20 लाख ट्यूबवेल हैं । हमारी 70% मांग भूजल के स्रोतों पूरी होती है। हम भारत में इसका इतनी बेरहमी से दोहन कर रहे हैं कि 2002 और 2008 के बीच भूमिगत जल भंडारों से 109 अरब क्यूबिक मीटर (1घन मीटर = 1000 लीटर) पानी समाप्त हो चुका है। (NASA रिपोर्ट) मध्यम वर्ग की आदते 'खर्चीली' हैं। हर दिन 1 लाख लोग मध्यम वर्ग में जुड़ जाते हैं । अतः संकट द्रुत गति से गहरा रहा है। 10. अभी कुल पानी का 2.5% वाष्पीकरण की भेंट चढ़ जाता है। जो "ग्लोबल वार्मिंग" की वजह से अगले 15 वर्षों में, इससे दुगुना हो जायेगा। इससे वर्षा-चक्र में व्यवधान आयेगा । ध्रुवों पर का मीठा पानी समुद्रों के खारे पानी में जा मिलेगा । नदियाँ व अन्य स्त्रोत सूखते जायेंगे । 1 11. मानव जाति के लिए पानी एक विलास - वस्तु बनता जा रहा है । 12. अभी 6 में से 1 आदमी को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है। उसको न्यूनतम 50 लीटर प्रतिदिन पानी नहीं मिलता है। अगले 25 सालों में दो तिहाई लोग इस जल संकट से जूझ रहे होंगे । 1. | 13. जमशेदपुर शहर के जीवन स्तर में आज एक व्यक्ति के लिए 130 ली. पानी काफी होना चाहिए । लेकिन 230 ली. खर्च हो रहा है । यानि 40% पानी बर्बाद हो रहा है। अतः हर व्यक्ति को इसका सही इस्तेमाल करना सीखना चाहिए। 14 बड़े शहरों में तो 50% से ज्यादा पानी व्यर्थ में खर्च होता है । अतः उसको सुधारने के लिए "पुनर्शुद्धिकरण" व्यवस्था पर जोर दिया जाना चाहिए । Ba) घरों में से दो तरह का पानी निष्कासित होता है: ---- भूरा (Grey) जल (पलित जल): नहाने धोने, साफ-सफाई, बर्तन धोने आदि का पानी । इसका पुनर्शुद्धिकरण करके, सिंचाई व संडास में उपयोग हो सकता है। 2 कृष्ण जलः शौचालय से निष्कासित जल । इसका रासायनिक अभिक्रिया द्वारा शोधन करके, बगीचे में काम सकते हैं। b) घरों में जो खाद्य-पदार्थ उपयोग में आते हैं, वो भी पानी की खपत से ही पैदा होते हैं। उनमें प्रयुक्त पानी की मात्रा माप कर, हर खाद्य पदार्थ की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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