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(H-12)
जल की गुणवत्ता और उसकी आवश्यकता का प्रबंधन
1. जल के महत्त्वपूर्ण गुण
जल एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादरहित एवं पारदर्शी पदार्थ है, यह दो भाग हाइड्रोजन तथा एक भाग ऑक्सीजन के रासायनिक संयोग से बना द्रव्य है, यह हर प्राणी के जीवन के लिए अनिवार्य पदार्थ है। चूँकि यह एक अत्यंत शक्तिशाली घोलक है, जीवों की कोशिकाएँ इसके सहारे महत्त्वपूर्ण पोषकों, खनिजों व रसायनों को घोल के रूप में ग्रहण करके, जैविकीय प्रक्रियाओं को चालू रखने में सफल रहती हैं। जल के कारण ही चयापचय क्रियाएं हो सकती हैं तथा व्यर्थ पदार्थों का शरीर से निष्कासन हो पाता है 1
महत्त्वपूर्ण गुण :
जल का हिमांक 0°C
जल का क्वथनांक 100°C
इसका विशिष्ट घनत्व 1.0 है (4°C)
इसका प्रति लीटर वजन 1 किलोग्राम है ।
पृथ्वी पर आज भी उतना ही जल है, जितना कि पृथ्वी के बनने के समय पर था, केवल उसकी गुणवत्ता में बदलाव होता रहा है।
यदि पानी एक अणु वाली संरचना का होता तो वह कमरे के तापक्रम पर गैस की अवस्था में पाया जाता। उसका हिमांक - 120°C होता और क्वथनांक - 100 °C (बजाय + 100°C) । उस स्थिति में पृथ्वी पर कोई प्राणी जीवित नहीं रह सकता । चूंकि इसका अणु द्विपोलर होता है, अतः वह हाइड्रोजन - बोंड के माध्यम से एक जालीनुमा त्रिआयामी संरचना के रूप में उपलब्ध होता है। ठंडा होने पर यह सुन्दर पंचभुजी या षष्ट-भुजी बर्फ के दाने बनाता है।
0°c पर, पानी में से प्रति ग्राम 32 केलोरी ताप निकालने से बर्फ बनता है तथा 100° C पर, पानी 100 केलोरी ताप प्रति ग्राम सोख कर भाप बन जाता है । भाप बनने पर उसके आयतन में 530 गुणा विस्तार होता है, यानि 1cc पानी 530 cc भाप बन जाता है । भाप को दबाने से उसकी ऊर्जा बढ़ जाती है, जिसका उपयोग करके इंजन या टरबाइन चलाये जाते हैं।
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