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________________ स्कंध 'हल्कागुण' प्राप्त करता है। 2. पुद्गल-स्कंध में स्निग्ध स्पर्श की अधिकता से गुरू (भारीपन) स्पर्श गुण का विकास होता है। यानि धनात्मक आवेशों की बाहुल्यता (अतिक्रमण) से स्कंध में "भारीपन" का गुण प्रकट होता है। 3. स्कंध में शीत और स्निग्ध स्पर्श की बाहुल्यता से "मृदु" स्पर्श का विकास होता है। दूसरे शब्दों में शायद यह कहा जा सकता है कि स्कंध अपने "धन" आवेश और शीतलता के आधिक्य के कारण "नर्म" गुण प्राप्त करता है। 4. स्कंध में ऊष्ण और रूक्ष स्पर्श की बाहुल्यता के कारण "कर्कश" स्पर्श का गुण प्रकट होता है। यानि कहा जा सकता है कि गर्म पुद्गलों के साथ ऋणात्मक आवेशों के अतिक्रमण से 'कठोर' स्पर्श पैदा होता है। स्पर्श गुणों के इस प्रकार के परिवर्तनात्मक विधान से एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण व दिलचस्प आधार /नियम प्रस्तुत हो रहा है। सूक्ष्म स्कंधों, खासकर भारहीन कणों, जैसे न्यूट्रीनों (एक प्रकार का फरमिओन) और ‘फोटोन' (एक प्रकार का बोजोन) जैसे आधुनिक विज्ञान के "अंतर्परमाणुओं" (Sub-atomic) के गुणों को समझने के लिए यह विधान काफी उपयोगी हो सकता है। इनके संघटन और विघटन के कई विशिष्ट नियम जैन शास्त्रों में बताये गये हैं। उनको आधुनिक विज्ञान की भाषा में समझने और परिभाषित करने की आवश्यकता है। नोट:- सूक्ष्म – परिणति की क्रिया पुदगल-स्कंध के संकुचन गुण से संबंधित समझ में आती है। इससे स्कंध का आयतन एकदम घट जाता है तथा सघनता के क्रांतिक (critical) बिन्दु पर एक विशिष्ट घनत्व/भार गुण का प्रकट होना समझ में आता है। स्थूल-परिणति से उसमें बादरपना प्रकट हो जाता है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार ऐसा समझ में आया है कि स्पर्श गुण, स्कंध के प्रकम्पन और विद्युत-चुम्बकीय क्षेत्र पर आधारित है। ये दोनों स्कंध के प्रकम्पन की आवृति और प्रकम्पन की पद्धति (mode) पर निर्भर करते हैं। 5. कठोरता (hardness) साधारणतया कठोरता का गुण पदार्थ की ठोस अवस्था से ही संबंधित है। तब यह कर्कशता का गुण भाप या पानी जैसे तरल पदार्थों में कैसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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