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________________ c) मूल गुणों का वैज्ञानिक स्पष्टीकरण : जैन-विज्ञान में पानी द्रव्य के पाँच प्रकार के मूल गुण बताये गये हैं रूप, रंग, गंध, स्वाद और स्पर्श । (इनका जैन ग्रंथों में वर्णन दिया गया है) आधुनिक जानकारी के अनुसार ये गुण पदार्थ की आकृति, बनावट और प्रकम्पनों पर निर्भर करते हैं (विद्युतीय, विद्युत चुम्बकीय और यांत्रिक प्रकम्पन)। हर परमाणु में जैन दर्शन के अनुसार एक रंग, एक गंध, एक स्वाद और दो मूल स्पर्श पाये जाते हैं। जैसे शीत और ऊष्ण स्पर्श में से एक तथा स्निग्ध और रूक्ष युग्म में से एक स्पर्श । परमाणु को अनन्त शक्ति का भंडार माना गया है। विज्ञान के अनुसार, प्रथम स्पर्श गुण तापक्रम से संबंधित है कि कोई वस्तु सापेक्षतः गर्म है या ठंडी। दूसरा गुण विद्युत आवेश से संबंधित है कि उस परमाणु पर किस प्रकार का आवेश है। इसका मतलब यह हुआ कि एक परमाणु में तापक्रम व आवेश का होना, उसका आधारभूत गुण है । विज्ञान के अनुसार परमाणु का तापक्रम भी उसके अपने प्रकम्पन पर निर्भर करता है। तथा उसका आवेश उसके विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र पर निर्भर करता है। इस प्रकार एक परमाणु को एक प्रकंपित - आवेश के रूप में समझा जा सकता है। जब वे आपस में नजदीक आते हैं, तो वे एक स्कंध रूप मिश्रण बनाते हैं। इस मिश्रण के मूलतः 4 स्पर्श होते हैं। सूक्ष्म परिणति के बाद, यह स्कंध, 4 स्पर्श और प्राप्त कर लेता है । यथा हल्का – भारी (गुरू) और मृदु-कठोर । अतः जलकायिक अणु (स्कंध) के 8 स्पर्श होंगे। 1. संठाण ( आकृति / रूप) यह पानी के बुदबुदे के समान है । आधुनिक विज्ञान के अनुसार यह दिगंश (Azimuthal) न.1 पर निर्भर करता है । यह आनुषांगिक क्वांटम नं. है । साधारण पानी में, उसके अणु त्रिआयामी जगह में बिना खाली जगह या सूक्ष्म पोलार के लगातार आपस में जुड़ते नहीं जायेंगे। इन पोलार जगहों में सोखी हुई हवा आसानी से अपनी जगह बना सकती है । यह हवा परिस्थितिवश उसमें फंस भी सकती है, तथा अणु श्रृंखला पर उच्च दबाव डाल सकती है। यह बुलबुलों के रूप में फटकर, दबाव को निरस्त कर सकता है। यह पानी के बर्तनों की सतह का क्षरण / कटाव करती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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