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________________ 15. दूसरे जीवों के आधार के रूप में: पानी प्रायः सभी प्रकार के भौतिक जीवों का आधार होता है, सिवाय कुछ प्रकार के तेजस्काय के जीवों के। इसके अलावा पानी, पृथ्वी, वायु और वनस्पतिकायिक जीवों को (एकेन्द्रिय जीव) तथा दो, तीन, चार और पांच इन्द्रियों वाले जीवों को संरक्षण भी प्रदान करता है। यानि पानी में उपरोक्त सभी प्रकार के जीव निवास कर सकते हैं। यह तथ्य आधुनिक विज्ञान की मान्यता के अनुरूप ही है। 16 जल का प्रसंस्करण : साधारण पानी के घटकों (अंतर्वस्तुओं) को हटाने के लिए या अलग करने के जो तरीके जैन-विज्ञान में बताये गये हैं, (देखिये नीचे की तालिका) वो सब वैज्ञानिक हैं तथा आधुनिक विज्ञान भी उनकी सिफारिश करता है। यहाँ यह ध्यान रखना है कि अभी जलकायिक जीवों की संरचना, (जैसी जैन-विज्ञान में बताई गई है), को ठीक से समझना है तथा उस जीव सिद्धांत को आधुनिक विज्ञान के समक्ष ठीक से परोसना है। घटक तालिका तरीका 1. जीवित जलकायिक कोषाणु उबालकर या धोवन बनाकर 2. घुलनशील या अघुलनशील खनिज छानकर और अवक्षेपण कर निथारना। 3. हवा और ऑक्सीजन मूलक उबाल कर। 4. ऑक्सीजन मूलक उबाल कर या धोवन बनाकर 5. बेइन्द्रिय या दूसरे त्रसकाय जीव, छानकर तथा थोडी मात्रा में होने से तथा दूसरे एकेन्द्रिय जीव, जैसे उबालकर या धोवन बनाकर, यांत्रिक लीलन-फूलन आदि। बिलोड़ने से, (फिटकरी या चूने के उपयोग की भी सिफारिश पाई गई है) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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