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________________ प्रश्न 21 : हम लोग एक्वा - गॉर्ड को पानी की सफाई के लिये काम में लेते हैं । उसमें कार्बनिक पदार्थ छानने की बत्ती आदि रहने से छना हुआ पानी बैक्टेरिया और नुकसानदेही पदार्थों से मुक्त रहता है। इस प्रक्रिया से पानी तो अचित्त बन ही जाता है ? उत्तर : उत्तर : प्रश्न 22 : पानी की किल्लत के कारण, मकानों में बोरिंग के पानी को म्यूनिसीपेलिटी के पानी के साथ मिला दिया जाता है। यह दूसरा पानी अखिर में नदी या झील से आता है । अतः इस मिश्रण में स्वकाय शस्त्र द्वारा पानी स्वतः अचित्त बन जाता है । 1. एक्वा गॉर्ड केवल त्रस जीव तथा वनस्पतिकाय के सूक्ष्म जीव हटा देता है लेकिन अप्कायिक जीवों को पूरा निर्जीव बना सके, जैसा कि धोवन बनाने से होता है, संभव नहीं लगता है। इसमें न तो पानी की योनियों के बीच ज्यादा रगड़ होती है और न कोई अतिरिक्त विजातीय पदार्थ मिलाया जाता है। न तो पानी की काया को छाना जाता है और न घुली हवा को हटाया जाता है। ऑक्सीजन तो वैसे ही मूलक अवस्था में रह जाती है । 2. इस प्रकार सैद्धांतिक रूप से वह पानी सचित्त ही रह जाता है व्यवहार से यह सचित्त और अचित्त पानी का मिश्रण पैदा करता है। उबले, धोवन और नल पानी की "आभा - फोटोग्राफी " इस व्याख्या तथा विश्लेषण को सही सिद्ध करती है । आचारांग सूत्र के अनुसार दो अलग प्रकार के पानी के मिश्रण करने से पानी अचित्त बन जाता है। लेकिन इसमें 2 बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए । पानी के पूर्णतया मिश्रित होने की सुनिश्चितता । ऐसा न हो तो दोनो पानी साथ साथ में, कुछ किनारों में अलग-अलग रह सकते हैं, बिना एक दूसरे पर आक्रमण या शस्त्र क्रिया किये। व्रती श्रावकों के लिए यह शंकास्पद होता है। इस अचित्त पानी की काल - मर्यादा भी हमें मालूम नहीं रहती है । यह परकाय-शस्त्र द्वारा बने धोवन से भिन्न प्रकार का पानी है। विज्ञान के हिसाब से यह काल - मर्यादा, मिश्रित पानी में पाये जाने वाले खनिजों की मात्रा और प्रकार पर निर्भर करती है । अवसीमा से यदि कम मात्रा में ये खनिज हैं, तो पानी के शरीर के सभी छिद्रों को बंद करने में ये सक्षम नहीं रहेंगे। अतः व्रती के लिए यह, मिश्र पानी की तरह रहा हुआ Jain Education International (42) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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