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________________ उत्तर: उपरोक्त दोनों विकल्पों में हमारी भावना अहिंसक रहे। जहाँ तक बन सके हिंसा से अधिक से अधिक बचने का प्रयास करें। किसी के प्रति क्रूरता या हिंसा भाव न रखें। प्रश्न 17 : सचित्त पानी को श्रावक लोग जागरुक रहकर निश्चय के साथ धोवन या उबले पानी के रूप में अचित्त बनाते हैं। इस प्रकार वो संकल्पी हिंसा के भागी बनते हैं, तथा महान् कर्म का बंध करते हैं ? सबसे पहले हम हिंसा के विभिन्न पहलुओं तथा उसके लक्षणों पर विचार करते हैं। किसी जीव को कष्ट देना या उसे मारना हिंसा कहलाती है। द्रव्य हिंसा:- यह दो प्रकार की होती है अर्थजा हिंसा :- अनिवार्य कार्य में होने वाली हिंसा । अनर्थजा हिंसा :- अनावश्यक और फिजूल कार्य में होने वाली हिंसा । हमारी कार्य की प्रकृति के आधार पर अर्थजा हिंसा चार प्रकार की बताई गई है। (i) जीवन अभिव्यक्त करने वाली हिंसा जैसे श्वासोच्छवास, चयापचय आदि क्रियाएँ । ये अपरिहार्य हैं। (ii) जीवन सहायक हिंसा : गृहस्थी चलाने की आवश्यक क्रियाएँ जैसे खाना पकाना, स्नान करना, भोजन करना आदि। (iii) जीवन यापन की हिंसा : जैसे व्यापार, उद्योग चलाना, सामाजिक व राष्ट्रीय क्रियाएँ। (iv) रक्षात्मकः अपनी, परिवार व देश की रक्षा के लिये। अनर्थजा हिंसा के भी दो प्रकार बताये गये हैं। (i) अपने लिये या परिवार व राष्ट्र के लिये व्यर्थ और अनावश्यक क्रियाएँ, जिसमें स्थावर काय के जीवों की हिंसा होती है। (ii) त्रसकाय के जीवों की हिंसा जैसे शिकार करना, अनावश्यक रूप से पक्षी, कीट, पतंगों को मारना। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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