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प्रश्न 8 : परकाय पदार्थ मिलाकर धोवन पानी बनाने का क्या विज्ञान है? उत्तर : दो प्रकार के ठोस पदार्थ होते हैं। उनके प्रभाव का निम्न प्रकार से
विश्लेषण किया जा सकता है। ध्रुवीय पदार्थः- इनके अणु विद्युत आवेश लिए हुए होते हैं। जब ये पदार्थ पानी में मिलाये जाते हैं, तो ये आयन बनाते हैं। उदाहरण स्वरूप साधारण नमक (NaCl) । पानी के अणु या योनि के ढाँचे इन आयनों के चारों तरफ एक घेराव बनाते हैं। पानी की योनि इन विजातीय पदार्थों से न तो टूटती है और न श्वासावरोधी बनती है, यदि इनकी मात्रा बहुत कम हो तो। जैसा कि होम्योपैथी में होता है। लेकिन यदि ज्यादा मात्रा में इन पदार्थों का उपयोग किया जाये तो वे पानी की प्राण-ऊर्जा को कम कर देते हैं तथा उसको निर्जीव तक बना सकते हैं। होम्योपैथी में तो इसके विपरीत, ये उसकी प्राण ऊर्जा में अभिवृद्धि कर देते हैं। अध्रुवीय पदार्थ:- उदाहरण चीनी का। 1) यह पानी में बिना हाइड्रोजन घेराव के घुल जाती है। इसके
अणु पानी के अणुओं के बीच में या अंतर्कोषाणुओं की खाली जगह में बैठ जाते हैं। पानी में, इसको अनुकूल पदार्थ के रूप में माना जाता है। इसलिए व्रती श्रावकों के लिए चीनी को धोवन बनाने के लिए अनुपयुक्त पदार्थ माना गया है। साधारणतया अध्रुवीय बेंजीन अध्रुवीय ठोस मोम को घोल लेता है। लेकिन पानी ऐसा नहीं कर सकता है। लौंग व राख पानी में कलिल (colloidal) बनाते हैं। ये योनि के छिद्रों को अवरूद्ध
करके अचित्त धोवन बना देते हैं। एक अन्य प्रकार के वे ठोस पदार्थ होते हैं (ध्रुवीय या अध्रुवीय), जो अभक्ष्य होते हैं। आर्सेनिक, फ्लोराइड आदि इसी प्रकार के (पानी में धुलनशील) पदार्थ हैं। इनको पानी से हटाने के बाद ही वह पानी भक्ष्य श्रेणी में आयेगा। धोवन बनाने के लिए निम्नलिखित अनिवार्य शर्ते हैं -
ये ठोस पदार्थ, घरों में साधारणतया, उपलब्ध होने चाहिए, जैसे राख, लौंग, त्रिफला आदि।
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