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________________ भी हमारे लिये अभक्ष्य हो सकता है। समुद्र का पानी सचित्त होता है। इस तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए यह समझ में आता है कि जब ये गंदगियाँ पानी में मिलती हैं, तो पानी अचित्त बन जाता है क्योंकि उसकी योनि, उसकी घुली हुई हवा आदि सभी कुप्रभावित हो जाती हैं। कुछ कम गंदगी वाले स्थिर पानी में, ये योनियाँ कुछ समय बाद फिर से बन जाती हैं, तथा पानी फिर से सचित्त बन जाता है। लेकिन गतिशील पानी में ये टूटी हुई योनियाँ बड़ी मुश्किल से वापस जुड़कर पानी को योनिभूत बनाती हैं। (देखिये : गंदे टेप पानी के फोटो)। साधारणतया ये अशुद्धियाँ पानी में षष्टिनुमा रवे बनाने में बाधक रूप रहती हैं। वैसे गंदा पानी सचित्त हो या अचित्त, पीने के लिये अभक्ष्य ही माना गया है। कुछ प्रयोगों में यह पाया गया है कि नल के पीने के पानी को, जो साधारण गंदा था, जब बर्तन में स्थिरकर, संगीत व प्रार्थना से प्रभावित किया गया, तो षष्टिनुमा रवा बना कर सचित्त हो गया। (फोटो 3)। नल व नदी का पानी अधिकतर मिश्र अवस्था में होता है। प्रश्न 7: क्या धोवन पानी भी गंदा पानी माना जाये ? उत्तर: जैसे पानी में कुछ मिनरल्स मिलाने से पानी को गंदा मानने के बजाय उसको ज्यादा उपयोगी मानते हैं, वैसे ही शास्त्र विधि से राख या अन्य तरह के विजातीय तत्त्व मिलाकर धोवन बनाया जाए तो उसको भक्ष्य ही मानना चाहिए। कारण कि धोवन के बनाने के सभी तत्त्व भक्ष्य हैं। सिवाय राख के। राख भी अपनी क्षारीयता के गुण के कारण, यदि पेट में चली जाये तो नुकसान नहीं करती है। हालांकि अधिकांशतः पानी को निथार कर जब उपयोग में लेते हैं, तो अधिकतर ठोस, अघुलनशील पदार्थ नीचे रहकर पानी से अलग हो जाते हैं। पानी में बहुत अल्प मात्रा में, वह भी कोलोइडल रूप में उसका अंश, जब पेट में जाता है तो पेट की अम्लीयता कम करने में सहायक माना गया है। धोवन वैसे भी अचित्त पानी है। उसमें त्रसकाय के जीव भी अचित्त हो जाते हैं। पानी (सचित्त) में उपस्थित हवा के मूलक नष्ट हो जाने से, उसके उपयोग से, व्यक्ति के आवेश मंद रहते हैं। ऑक्सीजन मूलक (Radicals) के बारे में निम्नलिखित तथ्य ध्यान देने योग्य है : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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