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________________ विश्लेषण करते हैं। होम्यापैथी में 'पोटेन्सी' (अंतःशक्ति) बनाते वक्त प्राकृतिक 'अर्क' का 1:100 अनुपात में क्रमबद्ध विरलीकरण किया जाता है। विरलीकरण की एक क्रिया में अर्क मिले हुए द्रव्य को यांत्रिक तरीके से 10 बार जोरदार हिलाया (Stir) जाता है। इससे 1 पोटेन्सी की दवा बनती है। इसी से फिर आनुक्रमिक विरलीकरण करके आगे की पोटेन्सी तैयार की जाती है। इस विरलीकरण की प्रक्रिया से साधारण गणित के मुताबिक 8-10 पोटेन्सी के बाद, उस दवा में एवोगेड्रो के नम्बर के मुताबिक, अर्क-मूल का एक भी अणु सशरीर मौजूद नहीं रहता। हालांकि देखा गया है कि पानी के अणुओं के आपसी हाइड्रोजन बोन्ड के पेटर्न क्रमिक विरलीकरण में नष्ट नहीं होते हैं। इस यांत्रिक विलोडन की क्रिया में, उपर्युक्त वर्णित पानी के कोषाणु (ISO-MOLECULAR CELL) पर, अर्क के पद चिन्ह लगाये जाते हैं। यानि अर्क के आयन, कोषाणु की पाइपनुमा काया पर अपनी विशिष्ट छाप छोड़ देते हैं। यह नम-बालू के ढेर पर चलते ट्रक के टायर की सतही बनावट की छवि अंकित करने के सदृश ही एक क्रिया है। इस क्रिया द्वारा वह कोषाणु 'संस्कारित' हो जाता है। बार-बार टायर के आगे-पीछे होने से जैसे वह 'छाप' और गहरी तथा स्थायी होती जाती है, उसी प्रकार जितनी ज्यादा अंतःशक्ति बढ़ाते हैं, यह संस्कार, कोषाणु की सतही दीवार व आकृति पर, उतना ही गहरा होता चला जाता है। घुले हुए 'अर्क' के प्रकम्पनों से हाइड्रोजन बोन्ड के नेटवर्क में विशेष बदलाव आता है। असर करने की प्रक्रिया __जब यह संस्कारित कोषाणु व्यक्ति के खून में प्रवेश करता है तो वह खून के कोषाणु में झिटा-क्षमता (Zeta-Potential) को बढ़ा देता है। उसके साथ दौरा करते हुए, वह शरीर के कोषाणुओं द्वारा आसानी से सोख लिया जाता है। वहाँ वह इन कोषाणुओं की बनावट और क्षमता को प्रभावित करना शुरू कर देता है, बजाय उसकी वृद्धि में मदद करने के। जब यह होम्यो दवा का कोषाणु हमारे शरीर के कोषाणु की झिल्ली के सूक्ष्म छिद्रों के अन्दर और बाहर आता है, तो विद्युत आवेश (पल्स) पैदा करता है, जो न्यूरोन व दूसरे कोषाणुओं द्वारा संचार-प्रसारण के उपयोग में आता है। ये छिद्र या चैनल भी बड़ी विशिष्ट योग्यता वाले होते हैं तथा यह नियंत्रण रखते हैं कि कोषाणु के अन्दर क्या जा सकता है और क्या नहीं। यह कोषाणु के जीन्स (Genes) और डी.एन.ए. (DNA) को याद दिलाने या नई स्मृति बनाने के लिए उत्प्रेरक' की तरह काम करता है। इसकी मौजूदगी में जीन्स की संकेत नियमावली और निर्देश (Genetic Code Modification GCM) में बदलाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.006761
Book TitleScience of Dhovana Water
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJeoraj Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2012
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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